tag:blogger.com,1999:blog-1613174019241582811.post1404594914030845291..comments2024-02-02T10:47:44.584+05:30Comments on संतवाणी अर्थ सहित: P97, (क) The glorification and use of the guru-mantra, "अति पावन गुरु मंत्र,...'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहितसत्संग ध्यानhttp://www.blogger.com/profile/11358719972267795952noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-1613174019241582811.post-49316733844008313722021-05-11T00:38:20.183+05:302021-05-11T00:38:20.183+05:30Pranam Baba, Jai Guru
क्या सद्गुरु महर्षि मेंही पर...Pranam Baba, Jai Guru<br />क्या सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के "संत - मत" में दीक्षा लेकर गुरु महाराज के भक्ति के साथ-साथ प्रभु श्री कृष्ण का जाप कर सकते हैं, प्रभु कृष्ण का भी ध्यान कर सकते हैं क्योंकि जब से मैंने भगवद् गीता पढ़ी है तब से प्रभु कृष्ण से प्रीति हो गई है उनसे प्रेम हो गई है और मन करता है उनकी भी भक्ति करूं<br />(1)भगवद् गीता :- ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् । मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।<br />अर्थ :- जो कोई मेरी ओर आता हैं – चाहे किसी प्रकार से हो – मैं उसको प्राप्त होता हूँ। लोग भिन्न मार्ग द्वारा प्रयत्न करते हुए अन्त में मेरी ही ओर आते हैं।’<br />(2) सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।<br />अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।18.66।।<br />अर्थ :- सब धर्मों का परित्याग करके तुम एक मेरी ही शरण में आओ? मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा? तुम शोक मत करो।।<br />(3) यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः।<br />भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।। गीता 9/25।।<br />अर्थ :- देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं।<br />Note :- क्या करें क्या ना करें मुझे बताइए गुरु जी मेरा मार्गदर्शन कीजिए 🙏🙏 मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरे समस्याओं का समाधान कर देंगे<br />🙏Jai Guru🙏<br />🙏Jai prabhu shree krishn🙏Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15240156731849218641noreply@blogger.com