संत Sundar Das की वाणी / 01
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति में संत श्री सुन्दर दास जी महाराज की वाणी ''जब ही जिज्ञासा होई,.।..'' का भावार्थ किया गया है। जिसे पूज्यपाद पूज्य पाद लाल दास जी महाराज ने लिखा है।इस भजन में ईश्वरीय ज्ञान अनादि है, उसकी प्राप्ति कैसे हो सकता है? इसकी जानकारी के साथ-साथ निम्न बातों पर भी कुछ-न-कुछ चर्चा हुआ है-ईश्वरीय ज्ञान,ईश्वरीय ज्ञान अनादि है,वेद ईश्वरीय ज्ञान है,ईश्वरीय ज्ञान के सम्बन्ध में,ईश्वरीय ज्ञान – वेद,ज्ञान के स्रोत,ज्ञान की अवधारणा क्या है,आध्यात्मिक ज्ञान किसे कहते हैं,ज्ञान के प्रकार का वर्णन,ज्ञान की अवधारणा,ज्ञान की परिभाषा,विज्ञान किसे कहते हैं,ज्ञान का अर्थ क्या है, आदि ।
संत सुंदर दास जी महाराज और टीकाकार लाल दास जी |
संत सुन्दर दास जी महाराज कहते हैं कि "जब ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा हो, तो क्या करना चाहिए? सबसे पहले चित को स्थिर करके एक जगह करे। जैसे- मृगा अपने चित को बाांसुुुरी आदि के ध्वनी सुनने में लगाता है।.Receiving Divine Knowledge, "जब ही जिज्ञासा होई,...." इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़े-
सुंदर दास जी की वाणी भावार्थ सहित |
संत सुंदर दास जी की वाणी पर टिप्पणी |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ईश्वर भक्ति का मार्ग संत सतगुरु से कैसे सीखना चाहिए? Receiving Divine Knowledge, "जब ही जिज्ञासा होई,.।.. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
अगर आप 'संतवाणी सटीक' पुस्तक से संत Sundar Das जी महाराज के अन्य पद्यों के अर्थों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो
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Sundar Das 01, Receiving Divine Knowledge, "जब ही जिज्ञासा होई,..." भावार्थकार- लाल दास जी महाराज
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/29/2019
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