नामदेव 01 || सच्चे संत नामदेव जी महाराज की वाणी अर्थ सहित Saint Namdev ji Maharaj's words with meaning
संत नामदेव जी महाराज की वाणी / 01
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज सच्चे संत बाबा नामदेव जी महाराज की वाणी में जानेंगे कि- संत और महात्मा में क्या अंतर है? साधु और संसारी में क्या अंतर है? सच्चे साधु की पहचान क्या है? साधु के लक्षण क्या होते हैं? सच्चे साधु संग से क्या प्राप्त होता है? इत्यादि बातें। इन बातों को जानने के पहले आई बाबा नामदेव जी महाराज के दर्शन करें-
संतनामदेव जी महाराज |
संत नामदेव जी महाराज की वाणी अर्थ सहित
प्रभु प्रेमियों ! संत नामदेव जी महाराज अपनी इस वाणी के द्वारा बताते हैं कि- 1. सच्चा साधु संत कौन है? 2. सद्गुरु की कृपा से क्या होता है? 3. साधु-महात्मा अंतर्यामी कैसे होते हैं? 4. गुरु शिष्य के अहंकार को नष्ट क्यों करते हैं? 5. परमपिता परमात्मा के कितने नाम है? 6. संतों के समागम से क्या प्राप्त होता है? 7. सत्संग से क्या-क्या मिलता है? इत्यादि बातें। इन बातों को जानने के लिए निम्नलिखित संत वाणी को मनोयोग पूर्वक अर्थ सहित पढ़े--
सच्चे संत नामदेव जी महाराज की वाणी 01
सर्वाभूति पाहे एक वासुदेव । पुसोनिया ठाव अहंतेचा ।
तोचि संतसाधु ओलखावा निका। येरे ते ऐका मायाबद्ध ॥ देखिलिया धन मृत्तिकेसमान । नवविधा रत्नें जैसे धोंडे ।
कामक्रोध दोघे घातले बाहेरी। शांति क्षमा घरीं राबवित ॥
नामा म्हणे नाम गोविंदाचे वाचे। विसंबेना त्याचें क्षणमात्र ।
विभिन्न प्रकार के संत महात्मा |
भावार्थ-जो संसार के सब जीवों में एक परमात्मा देखता है, जिसने अहंकार को पूरी तौर से नष्ट कर दिया है. वही शुद्ध सन्त साधु है, पहचान लो। बाकी सब माया से बंधे हुए हैं। वह धन को मिट्टी के समान देखता है, और रत्नों के भंडार को पत्थरों के समान। उसने काम-क्रोध को बाहर निकाल दिया है और शांति क्षमा को अपना लिया है। वह प्रभु का नाम हर दम लेता रहता है और उस परमेश्वर को क्षण मात्र भी नहीं भूलता है। नामदेव कहता है, वही सच्चा सन्त है ।
सुखाचा सद्गुरु सुखरूप खेचरू ।
स्वरूप साक्षात्कारू दाखविला ।
विठ्ठल पहातां मावलले मन।
ध्यानीं भरले नयन तन्मय जालें ॥
मी मांझें होतें तें मजमाजि निमालें।
बलें जल गिलिले जयापरी ।
तेथे आनन्दी आनन्दु बोलला परमानंदु ।
नाम्यां जाला बोधु विठ्ठल नामें ॥
ध्यान में ईश्वर दर्शन |
भावार्थ- हे सद्गुरु खेचर, तू सुख देनेवाला है और सुखरूप ही है । तूने मुझे परमेश्वर से साक्षात्कार करवा दिया । मैंने परमेश्वर देख लिया और मेरा मन अस्त हो गया । मेरी आँखें ध्यान से भरकर तन्मय हो गई हैं। जिस प्रकार पानी सागर में मिलकर उसी में समा जाता है, मैं उसमें मिल गया, मेरा अहं नष्ट हो गया। अब आनन्द ही आनन्द है। नामदेव कहता है, परमेश्वर के नाम के द्वारा मैं सब जान गया ।
बाबा अहंकार निशिदाट । गुरु वचनों फुटली पहाट ॥
माता भक्ति भेटली वरवंट । तिनें मार्ग दाविला चोखट गा ।।
नरहरी रामा गोविन्दा वासुदेवा ॥ ध्रुव ॥
एक बोल सुस्पष्ट बोलावा । वाचे हरि हरि म्हणावा ।।
संत समागमु धरावा । तेणे ब्रह्मानन्द होय आघवा गा ॥
आला सीतल शांतीचा वारा। तेणें सुख जालें शरीरा गा ।।
फिटला पातकांचा यारा कलीकालासी धाक दरारा गा ॥
अनुहात वाजती टाल । अनुक्षीर गीत रसाल ।।
अनुभवें तन्मय सकल । नामा म्हणे केशव कृपालू गा ।।
भावार्थ- हे बाबा, गुरु के वचनों से अहंकार की अंधेरी रात नष्ट हो गई और (ज्ञान का) प्रभात हो गया। उससे मुझे परमेश्वर की सुहावनी भक्ति प्राप्त हुई और इस तरह मुझे सच्चा मार्ग मिल गया। हृदय से एक ही नाम लो और मुंह से हरि हरि कहते जाओ। नरहरि, राम, गोविन्द, वासुदेव, हरि सब उसी परमपिता के नाम हैं। सन्तों के समागम में रहो, इससे पूर्ण ब्रह्मानन्द प्राप्त होगा। यह शीतल शांति का पवन है, इससे मेरे जीव को सुख मिल गया । सब पाप नष्ट हो गये और काल भयभीत हो गया। अनहद नाद बजने लगा और सारयुक्त अमृत-गीत सुनाई देने लगा। नामदेव कहते हैं, परमेश्वर की कृपा से मैं इस अनुभव से तन्मय हो गया ।
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शान्ति-सन्देश अक्टूबर, २००१ ई० में प्रकाशित हुई है यह वाणी
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प्रभु प्रेमियों ! संत नामदेव जी महाराज के उपरोक्त वाणी का पाठ करके हम लोगों ने जाना कि 👉 सच्चे साधु संतों का संग करने से परम प्रभु परमात्मा के प्राप्ति होती है और परमात्मा की प्राप्ति से सच्चा सुख आनंद प्राप्त होता है, ऐसा आनंद जो कभी समाप्त नहीं होता। अगर इतनी जानकारी के बाद भी आपके मन में किसी प्रकार का कोई शंका है तो हमें कमेंट करें और इस ब्लॉक का सदस्य बन जाए इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना निशुल्क मिलती रहेगी फिर मिलेंगे अगले पोस्ट में जय गुरु महाराज
नामदेव वाणी भावार्थ सहित
संतवाणी-सुधा सटीक |
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नामदेव 01 || सच्चे संत नामदेव जी महाराज की वाणी अर्थ सहित Saint Namdev ji Maharaj's words with meaning
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/08/2024
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