धन्ना भगत 01, Bhagat dhanna jatt ke bhajan, "भ्रमत फिरत बहु जनम बिलाने,..." व्याख्याकार महर्षि मेंहीं
संत धन्ना भगत की वाणी / 01
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रिित करके सिद्ध किया गया है किि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति के संत धन्ना भगत की बाणी- 'भ्रमत फिरत बहु जनम बिलाने'...' भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी पढेंगे। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने लिखा है। इसमें बताया गया है कि लाखों जन्म का चक्कर लगाने के बाद भी हमें विषयों से छुटकारा नहीं मिला, तृप्ति नहीं हुई, परमानंददायक सुख की प्राप्ति नहीं हुई। हम इन विषयों को सुखदायक समझकर इसके पीछे लगे रहैै, जब गुरु महाराज की कृपा हुई, तब परमात्मा भजन के बारे में जाना और ध्यान-भजन करके मैं सुखी हो गया।...संत धन्ना भगत जी और टीकाकार सद्गुरु महर्षि मेंहीं |
"भ्रमत फिरत बहु जनम बिलाने,..." Bhagat dhanna jatt ke bhajan
संत कवि भक्त धन्ना जाट जी महाराज कहते हैं कि संसार में मैंने सुख की इच्छा से भ्रमण करते हुए लाखों जन्म बीताने के बाद संत सद्गुरु की कृपा से सही ज्ञान की प्राप्ति की और भजन करके सुखी हो गया। प्रस्तुत है धन्ना भगत की वाणी Bhagat dhanna jatt ke bhajan और उसकी व्याख्या भावार्थ-
धन्ना भगत की वाणी अर्थ सहित |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि तृप्ति दायक एवं परम संतोष दायक सुख की प्राप्ति केवल ईश्वर भजन से ही मिल सकता है । । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
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धन्ना भगत 01, Bhagat dhanna jatt ke bhajan, "भ्रमत फिरत बहु जनम बिलाने,..." व्याख्याकार महर्षि मेंहीं
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/21/2018
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