गुरु नानक साहब की वाणी / 32
इस भजन के पहले वाले भजन ''गुर की सेवा करि पिरा ,......'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
अमृत क्या है और इसे कौन पा सकता है? What is Amrit and who can get it?
सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि- "Where is the nectar? Why does man not know about nectar? Why has man forgotten the nectar? Who gets true knowledge of God? Why does the deer not know the musk? Who brings God together? How are people losing their lives? What is Amrit and who can get it? " इसे अच्छी तरह समझने के लिए गुरु वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-
॥ राग सोरठि, वार महले ४ की सलोक, महला ३॥
( शब्द ४ )
घर ही महि अंम्रित भरपूर है , मनुखा सादु न पाइआ ।
जिउ कस्तूरी मिरगु न जाणै , भ्रमदा भरम भुलाइआ ॥
अंम्रितु तजि विखु संग्रहै , करतै आपि खुआइआ ।
गुरमुखि विरले सोझी पाई , तिना अंदरि ब्रह्म दिखाइआ ॥
तनु मनु सीतलु होइआ , रसना हरि सादु आइआ ।
सबदे ही नाऊ ऊपजै , सबद मेलि मिलाइआ ।
बिनु सबदै सभु जगु बउराना , बिरथा जनमु गवाइआ ।
अंम्रित एको सबदु है , नानक गुरमुखि पाइआ ॥२ ॥
शब्दार्थ - सादु - स्वाद , आनंद । जिउ - जैसे । भ्रमदा - भरमता है । करतै सृष्टिकर्ता , परमात्मा । खुआइआ खो दिया , भुला दिया । नाऊ - नाम । बउराना - पागल हो रहे हैं ।
भावार्थकार- बाबा लालदास |
भावार्थ - शरीर के अंदर ही अमृत भरपूर है ; परंतु मनुष्य उसका स्वाद ( आनंद ) नहीं पाता है , जिस प्रकार हिरन अपनी नाभि की कस्तूरी को नहीं जानता है ; अज्ञानता से भुलाया हुआ वह कस्तूरी की सुगंध की खोज में इधर - उधर भटकता है । अमृत को छोड़कर मनुष्य विषयरूपी विष को इकट्ठा करता है और स्वयं सृष्टिकर्ता परमात्मा को भूल जाता है । बिरले गुरुमुख हैं , जो परमात्मा की सच्ची सूझ ( समझ , ज्ञान ) पाते हैं और जिनके अंदर ब्रह्म का साक्षात्कार होता है । जिह्वा ( सुरत ) को हरिनाम का स्वाद आने पर ( मिलने पर ) तन और मन शीतल हो जाते हैं । अनहद नादों से ही परमात्मा का निजनाम ( अनाहत नाद ) उपजता है अर्थात् प्रत्यक्षीभूत ( प्रकट ) होता है ; अनहद नाद ही परमात्मा के निज नाम से मेल कराते हैं । बिना नाद के संसार के सभी लोग विषयों के आनंद में बौरे हो रहे हैं और व्यर्थ ही अपने मानव - जीवन को गँवा रहे हैं । गुरु नानकदेवजी महाराज कहते हैं कि एक ( मात्र ) आंतरिक नाद ही अमृत है , जिसे गुरुमुख ही पाता है ॥२ ॥
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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि Amrt kahaan hai? amrt kee jaanakaaree manushy ko kyon nahin hai? manushy amrt ko kyon bhool gaya hai? paramaatma ka sachcha gyaan kaun paata hai? mrga ko kastooree ka gyaan kyon nahin hota hai? paramaatma se mel kaun karaata hai? log apana jeevan kis tarah gava rahe hain? amrt kya hai aur ise kaun pa sakata hai? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
संतवाणी-सुधा सटीक |
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