'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
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नानक वाणी 34, Bhagavaan kee Bhakti kaise karen ।। भगता की चाल निराली ।। भजन भावार्थ सहित
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संतवाणी-सुधा सटीक से संत सद्गरु बाबा श्री गुरु नानक साहब जी महाराज की वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी बारे मेंं जानकारी दी जाएगी। जिसे पूज्यपाद छोटेलाल दास जी महाराज ने लिखा है।
इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद) में बताया गया है कि- भक्तों का चाल चलन कैसा होना चाहिए? सांसारिक लोगों के व्यवहार और भक्त के चाल-चलन में क्या फर्क है? भक्त कैसे रास्ते पर चलते हैं? क्या साधु-महात्मा को बहुत बोलना चाहिए? भक्तों का रास्ता कैसा होता है? कौन हरि के धाम जा सकता है? क्या छोड़ने से हरि का धाम प्राप्त होता हैं? भक्तों का चाल-चलन भिन्न कब से है? इन बातों की जानकारी के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे।जैसे कि- Bhakton Hindi, Bhakti Video, भक्ति क्या है, भक्ति करने के फायदे, भगवान को कैसे प्राप्त करें, भगवान की भक्ति कैसे करें, भक्ति करने का तरीका, भगवान से बात कैसे करे, सच्चे भक्त की कहानी, भगवान से प्रेम कैसे करें, भगवान को कैसे देखे, अंध भक्त किसे कहते हैं, भक्ति में मन कैसे लगाएं, गुरु भक्त की कहानी, आदि बातें। इन बातों को जानने के पहले, आइए ! सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज का दर्शन करें-
इस भजन के पहले वाले भजन ''बाजे पंच शबद तितु घरि सभागै ।,......'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
पवित्र जीवन जीने के लिए बाबा नानक क्या कहते हैं
सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि- "What should the devotees do? What is the difference between the behavior of worldly people and the behavior of a devotee? How do devotees walk the path? Should the sage-mahatma speak a lot? How is the path of devotees? Who can go to Hari's abode? Does one get Hari Dham by leaving? Since when have devotees been different?" इसे अच्छी तरह समझने के लिए गुरु वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-
भावार्थ - भक्तों की चाल ( व्यवहार , रहनी - गहनी ) सांसारिक लोगों से भिन्न होती है । वे कठिन मार्ग पर चलते हैं । वे लालच - लोभ , अहंकार और तृष्णा को छोड़े हुए होते हैं ; वे बहुत नहीं बोलते हैं । वे जिस मार्ग ( अंतर्मार्ग पर चलते हैं , वह तलवार की धार से भी तीक्ष्ण और बाल की नोक से भी महीन है , ऐसा जानना चाहिए । गुरु की कृपा से जिसने अहंकार को छोड़ दिया , वह हरि के धाम में जा समाया । गुरु नानकदेवजी महाराज कहते हैं कि भक्तों की चाल युग - युगों से भिन्न रही है ।
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इस भजन के बाद वाले भजन ''निहचल एक सदा सचु सोई....'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि Bhakton ka chaal chalan kaisa hona chaahie? saansaarik logon ke vyavahaar aur bhakt ke chaal-chalan mein kya phark hai? bhakt kaise raaste par chalate hain? kya saadhu-mahaatma ko bahut bolana chaahie? bhakton ka raasta kaisa hota hai? kaun hari ke dhaam ja sakata hai? kya chhodane se hari ka dhaam praapt hota hain? bhakton ka chaal-chalan bhinn kab se hai?इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
अगर आप 'संतवाणी-सुधा सटीक"' पुस्तक से महान संत सद्गुरु श्री नानक साहब जी महाराज के अन्य पद्यों को अर्थ सहित जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो यहां दबाएं।
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नानक वाणी 34, Bhagavaan kee Bhakti kaise karen ।। भगता की चाल निराली ।। भजन भावार्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
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1/28/2021
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गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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