'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
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पलटू साहब 05 राम नाम जेहि मुखन तें || दोहा भावार्थ सहित || संतों का सम्मान क्यों करना चाहिए
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" से संत श्री संत पलटू साहब की वाणी "राम नाम जेहि मुखन तें ..'' भजन का , भावार्थ पढेंगे। जिसे पूज्य बाबा श्री लालदास जी महाराज ने लिखा है।
इस वाणी के पहले की पोस्ट में "पिया है प्रेम का प्याला, ... " वाणी को अर्थ सहित पढ़ने के लिए 👉यहां दबाएं।
संतों का सम्मान क्यों करना चाहिए
प्रभु प्रेमियों ! संत पलटू साहब इन दोहों में बताते है कि राम नाम बोलने वाले का सम्मान कैसे करना हैं? राम नाम का क्या महत्व है? नाम सिमरन करने वाले को प्रणाम कर उन्हें कुछ खिला-पिला कर संतुष्ट करने से उनके आशीर्वाद प्राप्त होता है? उनके शुभ वचनों से ईश्वर-दर्शन का मार्ग मिल जाता है और ईश्वर दर्शन से सभी दु:ख नाश हो जाता है. आइये इन दोहों को अर्थ सहित पढकर उपर्युक्त बातों को अच्छी तरह समझे-
॥ साखी ॥
राम नाम जेहि मुखन तें , पलटू होय प्रकास ।
तिनके पद वन्दन करौं , वो साहिब मैं दास ॥१ ॥
राम नाम जेहि उच्चरै , तेहि मुख देहुँ कपूर ।
पलटू तिनके नफर की , पनही का मैं धूर ॥२ ॥
राम का मिलना सहज है, सन्त का मिलना दूर ।
पलटू सन्त के मिले बिनु , राम से परै न पूरि ॥३ ॥
भावार्थ- संत पलटू साहब कहते हैं कि रामनाम जिनके मुख से उच्चरित होता है , उनके चरणों की स्तुति करते हुए मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ । वे मेरे स्वामी हैं और मैं उनका दास ॥१ ॥
--जो रामनाम का उच्चारण करते हैं , मैं उनकी प्रशंसा तथा आदर करता हूँ और उनके सेवक के जूते की धूलि होना चाहता हूँ || २ ||
--राम का मिलना सरल है ; परंतु संत का मिलना बड़ा कठिन है । संत के मिले बिना राम से मिलाप नहीं होता ( संत के मिल जाने पर राम मिलन दूर नहीं रह जाता ॥३ ॥∆
संत पलटू साहब के दूसरे भजन को अर्थ सहित पढ़ने के लिए 👉 यहां दबाएं।
भजन संग्रह अर्थ सहित पुस्तक में उपरोक्त वाणी निम्न चित्र की भांति प्रकाशित है-
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "भजन संग्रह" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि सम्मान कैसे करना चाहिए? हमें बड़ों का सम्मान क्यों करना चाहिए? कैसे आप अपने परिवार में बड़ों को सम्मान दिखाते हैं? माता पिता का सम्मान कैसे करना चाहिए? बड़ों का आदर करना चाहिए, बड़ों का आदर पर निबंध, बड़ों का आदर करना हमारा धर्म है in english, अच्छे बालक अपने बड़ों का सम्मान करते हैं, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
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पलटू साहब 05 राम नाम जेहि मुखन तें || दोहा भावार्थ सहित || संतों का सम्मान क्यों करना चाहिए
Reviewed by सत्संग ध्यान
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12/04/2021
Rating: 5
गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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