महर्षि मेंहीं पदावली / 64
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" हम संतमतानुयाईयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के पद्य संख्या 64 वें भजन- "सुखमन के झीना नाल से,...'' पद्य का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है। इसमें बताया गया है कि सुषुम्ना नाड़ी जागृत होने का रहस्य क्या है एवं सुषुम्ना में पहुंचने पर क्या-क्या होता है? सुषुम्ना-ध्यान अगर कोई सिद्ध कर लें, तो उसके क्या-क्याा फायदे हैं? आदि।
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| सद्गुरु महर्षि मेंहीं और पूज्य पाद शाही स्वामी जी महाराज |
सुखमन के झीना नाल से...( सुषुम्ना रहस्य)
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के प्रसिद्ध भजनों में "सुखमन के झीना नाल से, अमृत की धारा बह रही" का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी में बताया गया है कि सुषुम्ना का रहस्य क्या हैै? उसका जीवन में कितना महत्व है? अमृत की खोज कहां करनी चाहिए ? इस बारे में लोगों को पता ही नहीं है । अमृत कहां है? उसे कैसे खोजा जाए? कहां खोजा जाए ? उस अमृत का पान कैसे किया जाए? इन प्रश्नोंं के उत्तर निम्न चित्रों में पढ़ें-
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| पदावली भजन चौसठ शब्दार्थ, भावार्थ। |
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| पदावली पद 64 टिप्पणी |
प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा जाना कि सुषुम्ना का रहस्य क्या हैै? उसका जीवन में गुरु का कितना महत्व है इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
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P64, सुषुम्ना रहस्य, "सुखमन के झीना नाल से,..." पदावली भजन व्याख्या सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
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12/31/2017
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