सहजो वाणी 01, Pleasure of hariras "भया जी हरि रस पी मतवारा...' व्याख्याकार- लालदास जी महाराज

भक्तिन सहजोबाई वाणी की वाणी / 01

    प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीकअनमोल कृति है। इस कृति मैं बहुत से संतो के वाणियों को एकत्रित किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि सभी संतों के सार विचार एक ही हैं।उन सभी वाणियों का टीकाकरण किया गया है। आज भक्तिन सहजोबाई की वाणी "भया जी हरि रस पी मतवारा...' भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी पढेंगे। जिसे पूज्य पाद लाल दास जी महाराज ने लिखा है।

सहजो वाणी 01, Pleasure of hariras "भया जी हरि रस पी मतवारा...' व्याख्याकार- लालदास जी महाराज। भक्तिन सहजोबाई और टीका का लाल दास जी महाराज
भक्तिन सहजोबाई और टीकाकार लाल दास जी महाराज


Pleasure of hariras हरिरस की खुशी

फरम भक्तिन सहजोबाई ने बताया है कि हरिरस का आनंद ऐसा है, जिसका एक बार पान करने के बाद व्यक्ति पागलों के जैसा हो जाता है। (Pleasure of hariras) हरिरस का आनंद दिन दूना रात चौगुना बढ़ता हीी जाता है। इसीलिए इसे परमानंद कहाा जात है। इस बारेे में बिशेेष जानकारी  लेख में पाठ करके लें।
इस पद के गायक हैं- स्वामी रविंद्र बाबा है। जो कुप्पाघाट में ध्यान अभ्यास के समय इस पद का गायन किये थे।
सहजो वाणी 01, Pleasure of hariras "भया जी हरि रस पी मतवारा...' व्याख्याकार- लालदास जी महाराज। भक्तिन सहजोबाई के भजन शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित
भक्तिन सहजोबाई के भजन शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित

      प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक  संतवाणीयों की सटीक ब्याख्या में जाना कि  (Pleasure of hariras) हरिरस का आनंद दिन दूना रात चौगुना बढ़ता हीी जाता है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


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सहजो वाणी 01, Pleasure of hariras "भया जी हरि रस पी मतवारा...' व्याख्याकार- लालदास जी महाराज सहजो वाणी 01, Pleasure of hariras "भया जी हरि रस पी मतवारा...' व्याख्याकार- लालदास जी महाराज Reviewed by सत्संग ध्यान on 11/08/2018 Rating: 5

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