महर्षि मेंहीं पदावली / 18
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 50 वें पद्य "गुरु के शरण गहु, धन धन गुरु कहु....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है। इसमें धन धन सतगुरु स्वामी से विनती ( प्रार्थना, pray, request, स्तुति-विनती ) है, सतगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस महाराज का अपने सतगुरु बाबा देवी साहब जी महाराज से प्रार्थना करते हैं कि कि हे गुरु महाराज ! आप हमारा इस संसार से उधार कर दीजिए।
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सद्गुरु महर्षि मेंहीं और टीकाकार लालदास जी महाराज |
Sadguru Praise-request, "गुरु गुरु मैं करौं पुकारा,...''
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज अपने गुरु बाबा देवी साहब जी महाराज से कहते हैं- हे सद्गुरु स्वामी ! मैं 'हे गुरु ! हे गुरु !!' कहकर आपको पुकार रहा हूं । आप मेरी विनती सुन लीजिए। हे गुरु महाराज ! मैं आपको पुकार-पुकारकर कहता हूं । आप हमारी पुकार सुनिए और हमें इस संसार सागर से उद्धार कीजिए। Sadguru Praise-request, "गुरु गुरु मैं करौं पुकारा,...''। इसके बारे में अच्छी तरह जानने के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ, और टिप्पणी पढें-पदावली पद 18 चित्र 1 |
पदावली पद 18 शब्दार्थ चित्र दो |
पदावली पद अट्ठारह भावार्थ चित्र 3 |
पदावली पद 18 टिप्पणी चित्र 4 |
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प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि अपने गुरु महाराज से अपने उध्दार की ही प्रार्थना करनी चाहिए। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P18, Sadguru Praise-request, "गुरु गुरु मैं करौं पुकारा,...'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
11/09/2018
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