महर्षि मेंहीं पदावली /53
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 53 वें पद्य "योग हृदय केंद्र बिंदु में,.......'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस भजन में आप पाएंगे- योगहृदय, योगहृदय मेडिटेशन, योगहृदय के रहस्यमय बातें, हृदय के योग, इत्यादि के बारे में । यहां जानने योग्य बिशेष बात यह है कि जो प्राणायाम की क्रिया लोग अलग से करते हैं वह क्रिया यहां दृष्टियोग करने से स्वत: ही हो जाती है और प्राणायाम के अभ्यास से होने योग्य हानिकारक प्रभाव से बच जाते हैं।
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योग हृदय क्या है? पर चर्चा करते गुरुदेव
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 53 वें पद्य "योग हृदय केंद्र बिंदु में,.......'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस भजन में आप पाएंगे- योगहृदय, योगहृदय मेडिटेशन, योगहृदय के रहस्यमय बातें, हृदय के योग, इत्यादि के बारे में । यहां जानने योग्य बिशेष बात यह है कि जो प्राणायाम की क्रिया लोग अलग से करते हैं वह क्रिया यहां दृष्टियोग करने से स्वत: ही हो जाती है और प्राणायाम के अभ्यास से होने योग्य हानिकारक प्रभाव से बच जाते हैं।
इस भजन में आप पाएंगे- योगहृदय, योगहृदय मेडिटेशन, योगहृदय के रहस्यमय बातें, हृदय के योग, इत्यादि के बारे में । यहां जानने योग्य बिशेष बात यह है कि जो प्राणायाम की क्रिया लोग अलग से करते हैं वह क्रिया यहां दृष्टियोग करने से स्वत: ही हो जाती है और प्राणायाम के अभ्यास से होने योग्य हानिकारक प्रभाव से बच जाते हैं।
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Mysterious things of yoga,
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- हे साधकों ! दोनों आंखों के मध्य और नाक के आगे आज्ञा चक्रकेंद्रबिंदु में अपनी दोनों आंखों की दोनों दृष्टि धारों को दृष्टि योग के द्वारा जोड़कर मन की वृत्तियों को अंतर्मुख करो।.Mysterious things of yoga, "योग हृदय केंद्र बिंदु में,...'' इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस पद का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है । उसे पढ़े-
पदावली भजन 53 और शब्दार्थ । योगह्रदय पर चर्चा। |
पदावली भजन 53 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। ईश्वर भक्ति और योग ह्रदय। |
पदावली भजन 53 का व्याख्या समाप्त। |
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प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि आज्ञा चक्र केंद्र बिंदु क्या है? योग हृदय क्या है ? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P53, Mysterious things of yoga, "योग हृदय केंद्र बिंदु में,...'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
11/07/2018
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