P130, (क) Secret of the greatest treasure? 'ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित

महर्षि मेंहीं पदावली / 130   

प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहींपरमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावलीहम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के पद्य संख्या 130 वां "ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...'' पद्य का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्य पाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
 इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,..." में बताया गया है कि- bharat ka sabse bada khazana, duniya ka sabse bada khazana, hello khushi bharat mein sadse bada khajane ka rahasya क्या है? आदि

इस पद्य के  पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए  


P130, (क) Secret of the greatest treasure? 'ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित अद्भुत खजाना का रहस्य देखते हुए गुरुदेव।
अद्भुत खजाना का रहस्य देखते हुए गुरुदेव।

Secret of the greatest treasure

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी  कहते हैं-कि हे मेरे प्रिय जनों ! ध्यान का अभ्यास खूब किया करो । बिना ध्यान के ईश्वर रूपी खजाने को नहीं प्राप्त कर सकते । मजबूती के साथ लगातार ध्यान अभ्यास करते-करते इसमें सफलता मिलती है।Secret of the greatest treasure इस खजाने को बताने वाले सतगुरु मिलना बड़ा दुर्लभ होता है। इसलिए यह एक रहस्यमय विद्या हैै। जो इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस पद का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है । इसके बारे में अच्छी तरह जानने के लिए निम्न चित्रों को पढ़ें-
P130, (क) Secret of the greatest treasure? 'ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 130 और शब्दार्थ।
पदावली भजन नंबर 130 और शब्दार्थ।

P130, (क) Secret of the greatest treasure? 'ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 130 का भावार्थ और टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 130 का भावार्थ और टिप्पणी।

P130, (क) Secret of the greatest treasure? 'ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 130 का शेष टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 130 का शेष टिप्पणी।

इस भजन का शब्दार्थ, पद्यार्थ और टिप्पणी तुझ पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज के द्वारा किया गया है उसे पढ़ने के लिए    यहां दबाएं

      प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंही पदावली" के इस भजन का शब्दार्थ भावार्थ का पाठ करके जाना कि सबसे बड़ा खजाना क्या है और वह कैसे मिल सकता है।   ध्यान भजन से विमुख रहकर तुम प्रभु रूपी परम धन को कभी भी प्राप्त नहीं कर सकते । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।




महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. 
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P130, (क) Secret of the greatest treasure? 'ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित P130, (क) Secret of the greatest treasure? 'ध्यान-भजन-हीन लहिहौ न प्रभु धन,...' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित Reviewed by सत्संग ध्यान on 11/10/2018 Rating: 5

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