संत धरनीदास की वाणी / 01
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति के संत धरनी दास की बाणी- 'सुमिरो हरि नामहि बौरै'...' भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी पढेंगे। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने लिखा है। इसमें बताया गया है सांसारिक सुख के पीछे दौड़ने बाले ऐ मेरे चंचल चित! इसके पीछे दौड़ते हुए तुम पागलों जैसा हो गए, लेकिन कभी भी तुम्हें शांति-सुख की प्राप्ति नहीं हुई। शांति-सुख की प्राप्ति के लिए अंतर में सुमिरन भजन करो।...
बाबा धर्मदास जी और टीकाकार लाल दास जी महाराज |
Sumiran karle mere mana "सुमिरो हरि नामहि बौरै,
संत धरनी दास जी महाराज कहते हैं कि सांसारिक सुखों के पीछे दौड़ने बाले ऐ मेरे चंचल चित! इसके पीछे दौड़ते हुए तुम पागलों जैसा हो गए, लेकिन कभी भी तुम्हें शांति-सुख की प्राप्ति नहीं हुई। शांति-सुख की प्राप्ति के लिए अंतर में सुमिरन भजन करो। सुमिरन क्या है? Sumiran karle mere mana "सुमिरो हरि नामहि बौरै..इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है, उसे पढ़ें-
संत धरनीदास जी महाराज की वाणी अर्थ सहित |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि भागवत् नाम का स्मरण करना, उनका जप करना, ध्यान करना और संसारी इच्छाओं से दूर रहना चाहिए। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
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धरनी दास 01, Sumiran karle mere mana "सुमिरो हरि नामहि बौरै,..." भजन टीकाकार- पूज्यपाद लालदास जी
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/26/2019
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