P128क, Why love god? "आहो प्रेमी करु प्रेम प्रभु सए हो,...'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित

महर्षि मेंहीं पदावली / 128  

      प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 128 वें पद्य  "आहो प्रेमी करु प्रेम प्रभु सए हो,.....''  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के  बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है। इस भजन में आप न तो ईश्वर कौन है? न ही सबसे बड़ा ईश्वर कौन है? न ही सच्चा ईश्वर कौन है? न ही ईश्वर क्या है? न ही ईश्वर और भगवान में क्या अंतर है? और न ही ईश्वर को कौन व कैसे बनाया? के बारे में जानेंगे; बल्कि इस God भजन में ईश्वर से प्रेम, क्यों करें ईश्वर से प्रेम, कैसे हो ईश्वर से प्रेम,ईश्वर से प्रेम करो,ईश्वर प्रेम के भजन,ईश्वर प्रेम पर कविता,ईश्वर प्रेम,ईश्वर से प्रेम करने से क्या क्या फायदे होते हैं? इन्ही बातों के बारे में जानेंगे। 

P128, Why love god? "आहो प्रेमी करु प्रेम प्रभु सए हो,...''  महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित । ईश्वर प्रेम में मग्न सद्गुरु महर्षि मेंही और टीकाकार
ईश्वर प्रेम में मग्न सद्गुरु महर्षि मेंहीं और टीकाकार


Why love god? "आहो प्रेमी करु प्रेम प्रभु सए हो,..

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी  कहते हैं- "हे प्रेमियों ! परमात्मा से प्रेम करो । परमात्मा को प्राप्त किए बिना सदा दुख भोंगते रहोगे और संसार में पुनः पुनः जन्मते-मरते हुए भ्रमण करते रहोगे। इसलिए यदि तुम अपना परम कल्याण चाहते हो, तो परमात्मा से शीघ्र प्रेम करो।.Why love god? "आहो प्रेमी करु प्रेम प्रभु सए हो,.... " इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस पद का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है । उसे  पढ़े-

P128, Why love god? "आहो प्रेमी करु प्रेम प्रभु सए हो,...''  महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित। ईश्वर भक्ति भजन पदावली 128 का वर्णन
ईश्वर भक्ति भजन पदावली 128 का वर्णन

P128, Why love god? "आहो प्रेमी करु प्रेम प्रभु सए हो,...''  महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित। ईश्वर भक्ति पदावलीक भजन 128 का वर्णन
ईश्वर भक्ति पदावली भजन 128 का वर्णन

प्रभु प्रेमियों !  "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक  से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि जल्दी-से-जल्दी गुरुमुखी होकर ध्यान-भजन में लग जाना चाहिए इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।




महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. 
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