P116, Introduction to the Supernatural Binoculars, "एक विंदुता दुर्विंन हो,..'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
महर्षि मेंहीं पदावली / 116
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 116 वें पद्य "एक विंदुता दुर्विंन हो,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज, पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज और पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज नेे किया है। नेे किया है।
इस भजन में आप न तो खगोलीय दूरबीन, न ही दूरबीन का उपयोग, न ही खगोलीय दूरबीन का आविष्कार, न ही दूरबीन के प्रकार, न ही दूरबीन के लेंस और न ही दूरबीन कैसे बनाये के बारे में जानेंगे; बल्कि इस God bhajan में दृष्टियोग की क्रिया करने के बाद जो दूरबीन की तरह दूरदर्शिता की शक्ति प्राप्त होती है, उसके बारे में जानेंगे।
इस भजन में आप न तो खगोलीय दूरबीन, न ही दूरबीन का उपयोग, न ही खगोलीय दूरबीन का आविष्कार, न ही दूरबीन के प्रकार, न ही दूरबीन के लेंस और न ही दूरबीन कैसे बनाये के बारे में जानेंगे; बल्कि इस God bhajan में दृष्टियोग की क्रिया करने के बाद जो दूरबीन की तरह दूरदर्शिता की शक्ति प्राप्त होती है, उसके बारे में जानेंगे।
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यहां दबाएं।अलौकिक दूरबीन के बारे में बताते हुए गुरुदेव। |
Introduction to the Supernatural Binoculars
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमक्षहंस जी महाराज जी कहते हैं- "यदि किसी को एक बिंदुतारूपी दूरबीन प्राप्त हो जाए, तो फिर उसे बाहरी दूरबीन की क्या आवश्यकता अर्थात कुछ भी आवश्यकता नहीं।.Introduction to the Supernatural Binoculars, "एक विंदुता दुर्विंन हो,...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस पद का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है । उसे पढ़े-
अलौकिक दूरबीन की चर्चा संतवणी में |
उपनिषदों में दूरबीन की चर्चा। |
हठयोग प्रदीपिका में दूरबीन की चर्चा। |
पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
पूज्यपाद श्रीधरदास जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
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प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि दृष्टियोग की क्रिया करने के बाद दूरबीन की तरह दूरदर्शिता की शक्ति प्राप्त होती है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
पदावली भजन नंबर 116 और शब्दार्थ, पद्यार्थ। |
पदावली भजन नंबर 116 का पद्यार्थ और टिप्पणी। |
पदावली भजन नंबर 116 का शेष टिप्पणी। |
पूज्यपाद श्रीधरदास जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
पदावली भजन नंबर 116 का शब्दार्थ, पद्यार्थ। |
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प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि दृष्टियोग की क्रिया करने के बाद दूरबीन की तरह दूरदर्शिता की शक्ति प्राप्त होती है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P116, Introduction to the Supernatural Binoculars, "एक विंदुता दुर्विंन हो,..'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/05/2019
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