महर्षि मेंहीं पदावली / 64
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" हम संतमतानुयाईयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के पद्य संख्या 64 वें भजन- "सुखमन के झीना नाल से,...'' पद्य का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है। इसमें बताया गया है कि सुषुम्ना नाड़ी जागृत होने का रहस्य क्या है एवं सुषुम्ना में पहुंचने पर क्या-क्या होता है? सुषुम्ना-ध्यान अगर कोई सिद्ध कर लें, तो उसके क्या-क्याा फायदे हैं? सुषुम्ना का रहस्य क्या हैै? उसका जीवन में कितना महत्व है? अमृत की खोज कहां करनी चाहिए ? इस बारे में लोगों को पता ही नहीं है । अमृत कहां है? उसे कैसे खोजा जाए? कहां खोजा जाए ? उस अमृत का पान कैसे किया जाए? इन प्रश्नोंं के उत्तर, आदि।
* जापानी का झेन और चीन का च्यान यह दोनों ही शब्द ध्यान के अप्रभंश है। अंग्रेजी में इसे मेडिटेशन कहते हैं।
* ध्यान शारीरिक स्तर, मानसिक स्तर, आध्यात्मिक स्तर और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदे मंद है।
* ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. बिंदु पर एकाग्र करना और उस पर टिके रहना विंदुध्यान है।
* पतंजली के योग दर्शन में, विवेकानंद के सहित्य में और श्रीमद्भागवतगीता में ध्यान की विधि का वर्णन है। इन वर्णनानुसार अभ्यास करने पर साधक को क्या-क्या अनुभूति होती है। इसका वर्णन सदगुरु महाराज यहां कर रहे हैं।ध्यान के अनुभवयुक्त वर्णन, ध्यान में आध्यात्मिक अनुभव।
* मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
इस पद्य के पहले वाले भाग को पढ़ने के लिए
यहां दबाएं।सुषुम्ना ध्यान का रहस्यमय वर्णन करते गुरुदेव। |
Experience during susumnna meditation.
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "सुखमन की अत्यंत झीनी नाल-- अत्यंत सूक्ष्म छिद्र (ब्रह्मरंध्र-- दशम द्वार) से ज्योति और नाद-रूपी अमृत (चेतन) की धाराएं नीचे पिंड की ओर बढ़ रही हैैं।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़़े-
पदावली भजन 64 और शब्दार्थ। सुषुम्ना वर्णन। |
पदावली भजन 64 का शब्दार्थ भावार्थ टिप्पणी। सुषुम्ना ध्यान के अनुभव। |
पदावली भजन चौसठ का व्याख्या समाप्त। |
इस भजन के बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
* जापानी का झेन और चीन का च्यान यह दोनों ही शब्द ध्यान के अप्रभंश है। अंग्रेजी में इसे मेडिटेशन कहते हैं।
* ध्यान शारीरिक स्तर, मानसिक स्तर, आध्यात्मिक स्तर और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदे मंद है।
* ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. बिंदु पर एकाग्र करना और उस पर टिके रहना विंदुध्यान है।
* पतंजली के योग दर्शन में, विवेकानंद के सहित्य में और श्रीमद्भागवतगीता में ध्यान की विधि का वर्णन है। इन वर्णनानुसार अभ्यास करने पर साधक को क्या-क्या अनुभूति होती है। इसका वर्णन सदगुरु महाराज यहां कर रहे हैं।ध्यान के अनुभवयुक्त वर्णन, ध्यान में आध्यात्मिक अनुभव।
* मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा जाना कि सहज ध्यान के दौरान अनुभव, सुषुम्ना ध्यान के दौरान अनुभव Experience during susumnna meditation। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P64, Experience during susumnna meditation, "सुखमन के झीना नाल से,..." पदावली भजन व्याख्या सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/06/2020
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