महर्षि मेंहीं पदावली / 66
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" हम संतमतानुयाईयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के पद्य संख्या 66वें भजन- "गंग जमुन सरस्वती संगम पर।...'' पद्य का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इसGod भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "गंग जमुन सरस्वती संगम पर।..." में बताया गया है कि- एक त्रिवेणी संगम मनुष्य के शरीर के अंदर ही है। जो इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी के संगम स्थल को कहते हैं। इसी का वर्णन सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज अपने इस भजन में किए हैं। यहां पर संगम करना अर्थात ध्यान अभ्यास करना अलौकिक शक्तियों को जागृत करने के समान है। जिसमें रिद्धि-सिद्धि प्रमुख है। How do I get to Triveni Sangam? Which railway station is near to Triveni Sangam?How far is Triveni Sangam from Allahabad railway station?Do you need to book in advance to visit Triveni Sangam Allahabad? What's the best way to see Triveni Sangam Allahabad? What hotels are near Triveni Sangam Allahabad?आदि बातें।
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यहां दबाएं।त्रिवेणी संगम पर ध्यान करते गुरुदेव |
Triveni Sangam Real Experience
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे भाई ! पिंगला नाड़ी, इड़ा नाड़ी और सुषुम्ना नाड़ी के मिलन-स्थान पर (आज्ञाचक्रकेंद्रबिंदु) में प्रतिष्ठित होकर प्रतिदिन नियत समय पर ईश्वरोपासना (बिंदु-ध्यान और नाद-ध्यान) किया करो।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 66 और शब्दार्थ। आंतरिक त्रिवेणी संगम। |
पदावली भजन 66 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। असली त्रिवेणी संगम। |
पदावली भजन 66 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी समाप्त। |
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* 'त्रिवेणी संगम' तीन पवित्र नदियों-गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन बिंदु है। संगमा, संगम के लिए संस्कृत शब्द है।त्रिवेणी शब्द सुनते ही 'अध्यात्म' प्रेमी भारतीयों के मन में एक लहर-सी चल पड़ती है। हिंदू धर्म के सारे तीर्थ नदी और समुद्र के किनारे बसे हैं। नदी में भी जहां त्रिवेणी हैं वहीं पर तीर्थ है। संगम का मुद्दा हिंदुओं के लिए एक पवित्र से स्थान है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से पुनर्जन्म के चक्र से, सभी के पापों से और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह बाहरी त्रिवेणी संगम का वर्णन है।
* एक त्रिवेणी संगम मनुष्य के शरीर के अंदर ही है। जो इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी के संगम स्थल को कहते हैं। इसी का वर्णन सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज अपने इस भजन में किए हैं। यहां पर संगम करना अर्थात ध्यान अभ्यास करना अलौकिक शक्तियों को जागृत करने के समान है। जिसमें रिद्धि-सिद्धि प्रमुख है।
* एक त्रिवेणी संगम मनुष्य के शरीर के अंदर ही है। जो इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी के संगम स्थल को कहते हैं। इसी का वर्णन सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज अपने इस भजन में किए हैं। यहां पर संगम करना अर्थात ध्यान अभ्यास करना अलौकिक शक्तियों को जागृत करने के समान है। जिसमें रिद्धि-सिद्धि प्रमुख है।
* मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा जाना कि त्रिवेणी संगम वास्तविक अनुभव,तीन नदियों का संगम स्थल, त्रिवेणी संगम। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P66, Triveni Sangam Real Experience "गंग जमुन सरस्वती संगम पर।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/06/2020
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