महर्षि मेंहीं पदावली / 103
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 103वां पद्य "जीव उद्धार का द्वार पुकार कहा,...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 103वां पद्य "जीव उद्धार का द्वार पुकार कहा,...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "जीव उद्धार का द्वार पुकार कहा,..." में बताया गया है कि- संत सतगुरु अपने शिष्यों का कल्याण किन नियुक्तियों से करते हैं? भक्त शिष्य का कल्याण कैसे होता है? इत्यादि बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- सत्संग ध्यान,महर्षि मेंहीं पदावली, भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन,
संत सद्गुरु की युक्ति से दुखों से मुक्ति का उपाय,दुखों से मुक्ति,Dukho se mukti, मुक्ति की युक्ति, Mukti Ki Yukti,दुःख चिंता से मुक्ति चाहिए तो ये उपाय जरुर करें,
गुरुदेव ने स्वप्न में दी ऐसी युक्ति जिससे हो गई सब दुखो,दुखों से निवृति का अचूक उपाय।
इस पद्य के पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए
भक्तों के कल्याण की उक्तियों पर चर्चा करते गुरुदेव।
Saint Sadhguru's Tip
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "मन, वचन और कर्म से सच्चाई में बरतनेवाले संतों ने अथवा सत्स्वरूपी संतों ने जोरदार शब्दों में कहा है कि जीव के उद्धार का द्वार (मोक्ष-द्वार-- दशम द्वार) शरीर के ही अंदर है।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 103
पदावली भजन नंबर 103 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 103 का भावार्थ और टिप्पणी।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "जीव उद्धार का द्वार पुकार कहा,..." में बताया गया है कि- संत सतगुरु अपने शिष्यों का कल्याण किन नियुक्तियों से करते हैं? भक्त शिष्य का कल्याण कैसे होता है? इत्यादि बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- सत्संग ध्यान,महर्षि मेंहीं पदावली, भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन,
संत सद्गुरु की युक्ति से दुखों से मुक्ति का उपाय,दुखों से मुक्ति,Dukho se mukti, मुक्ति की युक्ति, Mukti Ki Yukti,दुःख चिंता से मुक्ति चाहिए तो ये उपाय जरुर करें,
गुरुदेव ने स्वप्न में दी ऐसी युक्ति जिससे हो गई सब दुखो,दुखों से निवृति का अचूक उपाय।
इस पद्य के पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए
भक्तों के कल्याण की उक्तियों पर चर्चा करते गुरुदेव। |
Saint Sadhguru's Tip
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "मन, वचन और कर्म से सच्चाई में बरतनेवाले संतों ने अथवा सत्स्वरूपी संतों ने जोरदार शब्दों में कहा है कि जीव के उद्धार का द्वार (मोक्ष-द्वार-- दशम द्वार) शरीर के ही अंदर है।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 103 |
पदावली भजन नंबर 103 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। |
पदावली भजन नंबर 103 का भावार्थ और टिप्पणी। |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 103 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि संत सतगुरु अपने शिष्यों का कल्याण किन नियुक्तियों से करते हैं? भक्त शिष्य का कल्याण कैसे होता है? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P103, Saint Sadhguru's Tip "जीव उद्धार का द्वार पुकार कहा,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
2/28/2020
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