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P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।

महर्षि मेंहीं पदावली / 129

प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 129वां पद्य  "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,,....''  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के  बारे में। जिसे  पूज्यपाद लालदास जी महाराज,  पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और  पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..." में बताया गया है कि- साधारण लोगों की ईश्वर-भक्ति और ज्ञानियों की भक्ति में श्रेष्ठ भक्ति कौन है? किसे सफलता मिलती है? विस्तृत चर्चा के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-ना-कुछ जानकारी मिलेगी- भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन,ईश्वर की भक्ति,भक्ति के भेद,ईश्वर भक्ति पर लेख,परा भक्ति,भक्ति म्हणजे काय,ईश्वर की सच्ची भक्ति, सांसारिक सुख या ईश्वर भक्ति, श्रेष्ठ है ईश्वर भक्ति, श्रेष्ठ कौन ईश्वर भक्ति या संसारिक सुख,साधना भक्ति,भक्ति मार्ग ज्ञान मार्ग,ईश्वर प्राप्ति मंत्र,ईश्वर की प्राप्ति कैसे हो,साधना भक्ति गाना,साधना के भक्ति गाना,परमात्मा की प्राप्ति के उपाय,साधना भक्ति,भक्ति विचार, भक्ति का विचार,ज्ञानी और भक्त,भक्ति गाना,भक्ति भजन,सच्चा सुख भगवान की निस्वार्थ भक्ति।

इस पद्य के  पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए  

P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। बुद्धिमान लोगों की ईश्वर-भक्ति पर चर्चा करते गुरुदेव।
बुद्धिमान लोगों की ईस्वर भक्ति पर चर्चा करते गुरुदेव।

Physical pleasure and devotion

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी  कहते हैं- "हे बुद्धिमान लोगों ! परमात्मा के स्वरूप का निर्णय या विचार करके उसकी भक्ति आरंभ करो।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-

P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 129 और शब्दार्थ।
पदावली भजन नंबर 129 और शब्दार्थ।

P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 129 का भावार्थ।
पदावली भजन नंबर 129 का भावार्थ ।

P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 129 का टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 129 का टिप्पणी।

पूज्यपाद संतसेवीजी महाराज द्वारा किया गया टीका-


P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। सांसारिक सुख और ईश्वर भक्ति पर भजन।
सांसारिक सुख और ईश्वर भक्ति पर भजन।

P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। ज्ञानियों की ईश्वर भक्ति।
ज्ञानियों की ईश्वर भक्ति।

 पूज्यपाद श्रीधर दासजी महाराज द्वारा किया गया टीका-


P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। सर्वश्रेष्ठ भक्त कौन है?
सर्वश्रेष्ठ भक्त कौन है ?

इस भजन के  बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।

प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 129 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि साधारण लोगों की ईश्वर-भक्ति और ज्ञानियों की भक्ति में श्रेष्ठ भक्ति कौन है? किसे सफलता मिलती है? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।




महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
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P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। P129, Physical pleasure and devotion "आहो ज्ञानी ज्ञान गुनी प्रभु भजु  हो,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/07/2020 Rating: 5

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