'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" अनमोल कृति है। इस कृति मैं बहुत से संतो के वाणियों को एकत्रित किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि सभी संतों के सार विचार एक ही हैं। उन सभी वाणियों का टीकाकरण किया गया है। आज जालन्धर नााथ की वाणी "थोड़ो खाइ तो कलपै-झलपै,...' भजन का भावार्थ पढेंगे।
'संतवाणी सटीक' ग्रंथ में यह वाणी ग्रंथ के प्रथम पृष्ठ पर औरप्रथम वाणी के रूप में प्रकाशित है।
जालंधर नाथ के मंदिर
योगी जालंधर नाथ के अनुसार भोजन की मात्रा
प्रभु प्रेमियों ! इसमें आपको ना तो जालंधर नाथ का जन्म कैसे हुआ? ना जालंधर की माता का क्या नाम था? ना जालंधर बंध, ना जलन्धर की कहानी, ना तुलसी की कहानी, ना देवों के देव महादेव जालंधर का युद्ध, ना शिव पुराण वर्णित जालंधर और वृंदा की कथा, ना विष्णु पुराण वर्णित जालंधर वध के बारे में बताया जाएगा, बल्कि इसमें जालंधर नाथ की वाणी, भजन का भावार्थ सहित वर्णन के बारे में पढ़ेंगे।
एकं दिन में कितना खाना खाना चाहिए? प्रतिदिन कितना भोजन करना चाहिए? भोजन कब करना चाहिए? आप एक समय में खाने के लिए कितना खाना चुनते हैं, चाहे वह रेस्तरां में हों, किसी पैकेज से, या घर पर। भूख से अधिक या कम मात्रा में भोजन करने से तन रोगग्रस्त बनता है। सादा भोजन,भोजन बनाने के नियम,भोजन कैसा होना चाहिए,दिन के अनुसार भोजन,खाना कैसे खाये, आदि के बारे में जानने के लिए निम्नलिखित दोहो को अर्थ सहित पढ़ें-
योगी जालन्धर नाथजी की वाणी
।। मूल पद्य ॥
थोड़ो खाइ तो कलपै - झलपै , घणो खाइलै रोगी ।
दुहुँ पखाँ की संधि विचारै , ते को बिरला जोगी ।।
अर्थ - थोड़ा खाने से कष्ट होता है , झुंझलाता है और बहुत खाने से रोगी होता है । दोनों पक्षों के बीच का विचार करे अर्थात् न थोड़ा खाय और न विशेष खाय , ऐसा कोई बिरला योगी होता है । इति। संतवाणी सटीक में योगी जालंधर नाथ की वाणी इतना ही प्रकाशित हैै।
इस वाणी के बाद गुरु मत्स्येंद्रनाथ की वाणी प्रकाशित है। उसे पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
योगी जालंधरनाथ जी महाराज एक नजर में
पद्म पुराण, शिव पुराण और स्कंद पुराण में दैत्यराज जालंधर के जन्म के बारे में बहुत कुछ वर्णित है। शिव पुराण के श्री रुद्र संहिता पंचम खंड-चौहदवें अध्याय में वर्णित है कि जब देवराज इंद्र और बृहस्पति जी शिव से मिलने इंद्रपुरी से कैलाश आए तो वहां मनमाफिक सम्मान न मिलने पर इंद्र ने रुष्ट होकर भगवान शंकर का अपमान कर दिया। इससे क्रोधित भगवान शंकर तांडव की मुद्रा में आ गए। भयभीत इंद्र छिप गए और देवलोक में खलबली मच गई। भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से अग्नि प्रकट हुई। इसी कोपाग्नि से एक बालक ने जन्म लिया। उस समय सागर की लहरों में तूफान जैसी स्थिति थी। इन्ही लहरों पर उस बालक को आश्रय मिला। यही बालक बड़ा होकर क्रूर, दंभी और अथाहशक्ति के स्वामी दैत्यराज जालंधर के नाम से विख्यात हुआ। इसी के नाम से जालंधर को जाना जाता है।
जलंधरनाथ भारत में नाथ संप्रदाय के एक प्रमुख संत माने जाते हैं। जिनका जन्म महायोगी गोरखनाथ के समय हुआ था। इसलिए उन्हें गोरखनाथ का समकालीन माना जाता है । जलंधरनाथ के मंदिर मुख्यत: राजस्थान में जालौर, निवाई (टोंक) महामंदिर(जोधपुर) के अलावा-कई स्थानों पर हैं । नाथ संप्रदाय में जलंधरनाथ नवनाथों में सम्मिलित हैं, जो भगवान शिव की क्रोधाग्नि से उत्पन्न और समुद्रपुत्र माने जाते हैं । महर्षि योगी जलंधरनाथ की महिमाओं का बखान नाथ साहित्य (नाथ-पुराणों शिवपुराण व कुछ अन्य हिंदू धर्मग्रंथों में) मिलता है । कहा जाता है इन्होंने अपने तपोबल से बहुत सी चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त की थीं । माना जाता है ये योगी मछेन्द्रनाथ के शिष्य और गोरखनाथ के गुरुभाई थे।
इंद्र को पराजित कर जलंधर तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा था। कहते हैं कि यमराज भी उससे डरते थे। श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया इससे जलंधर उत्पन्न हुआ। माना जाता है कि जलंधर में अपार शक्ति थी और उसकी शक्ति का कारण थी उसकी पत्नी वृंदा।
भारत के पंजाब प्रांत में वर्तमान जालंधर नगर जलंधर के नाम पर ही है। जालंधर में आज भी असुरराज जलंधर की पत्नी देवी वृंदा का मंदिर मोहल्ला कोट किशनचंद में स्थित है।इति।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" योगी जालंधर नाथ जी महाराज की इतनी ही वाणी संकलित है। इसमें आप भोजन के बारे में जानकारी प्राप्त की। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में इस भजन का पाठ करके सुनाया गया है।
प्रभु प्रेमियों ! अगर आप 'संतवाणी सटीक' पुस्तक से महायोगी संत श्रीजालंधरनाथ जी महाराज की अन्य पद्यों के अर्थों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो 👉 यहां दबाएं।
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गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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