नानक वाणी 45 काहू लै पाहन पूज धरो सिर भावार्थ सहित || परमात्मा की प्राप्ति के प्रसिद्ध उपाय

 गुरु नानक साहब की वाणी / 45

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है।  इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संतवाणी-सुधा सटीक से संत सद्गरु बाबा  श्री गुरु नानक साहब जी महाराज   की वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी बारे मेंं जानकारी दी जाएगी।   जिसे  पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने लिखा है। 

इस भजन के पहले वाले भजन '' प्रणवो         आदि     ऐकंकारा । ,....'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   👉 यहाँ दवाएँ.

नानक वाणी 45   काहू लै पाहन पूज धरो सिर   भावार्थ सहित

परमात्मा की प्राप्ति के प्रसिद्ध उपाय

प्रभु प्रेमियों ! सतगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद)  द्वारा कहते हैं कि- ईश्वर की भक्ति कैसे करें, भगवान से प्रेम कैसे करें, परमात्मा की भक्ति कैसे करें, भगवान को कैसे प्राप्त करें, भक्ति करने के फायदे, भगवान के दर्शन कैसे हो, कलयुग में भगवान की प्राप्ति कैसे हो, भगवान की प्राप्ति कैसे हो, ईश्वर को प्राप्त करने का सहज उपाय क्या है, ईश्वर को कैसे पाया जा सकता है, भगवान को पाने का मंत्र, भगवान तक पहुंचने का रास्ता, परमात्मा की प्राप्ति के उपाय, तपस्या के नियम, ईश्वर प्राप्ति मंत्र, भगवत प्राप्ति के उपाय, भक्ति से ही परमात्मा की प्राप्ति, ईश्वर से प्रेम कैसे हो,   आदि बातें। अगर आपको इन सारी बातों को अच्छी तरह समझना है तो इस पोस्ट को पूरी अच्छी तरह समझते हुए पढ़ें-


नानक वाणी 45

॥ सवैया ॥ 

काहू लै पाहन पूज धरो सिर,
                         काहू  लै  लिंगु गरे लटकाइउ ॥ 
काहू लखिऊँ हरि अवाची दिसा महि, 
                          पछाह   को   शीश   निवाइउ ॥ 
कोउ बुतान कौ पूजत है पसु, 
                           कोउ मृतान कउ पूजन धाइउ ॥ 
कूर क्रिया उरझिउ सबही जगु, 
                            श्री भगवान को भेद न पाइउ ॥ १० ॥

शब्दार्थ

काहू- कोई । पाहन = पाषाण , पत्थर । लिंगु - लिंग , चिह्न , प्रतीक । गरे - गले में । अवाची दिसा - नीचे की ओर या दक्षिण की ओर । ( पंजाब से अयोध्या पूरब - दक्षिण की ओर है । ) पछाह को = पश्चिम दिशा की ओर ( सुहम्मद साहब का जन्म स्थान मक्का भारत से पश्चिम की ओर है । ) बुतान को= मूर्तियों को, मृतान- मरे हुओं को , निर्जीव - जड़ पदार्थों को। क्रूर = दृष्ट बुरा , झूठा , गलत । ( अन्य शब्दों की जानकारी के लिए "संतमत+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश" देखें )

भावार्थ

कोई पत्थर ( पत्थर की मूर्ति ) लेकर उसकी पूजा करता है और उसे सिर पर धारण करता है अर्थात उसे प्रणाम करता है । कोई देवी - देवता का कोई चिह्न लेकर गले में लटकाता है , कोई दक्षिण ( अयोध्या ) की ओर हरि को देखता है और कोई पश्चिम ( मक्का ) की ओर सिर नवाता है । कोई और कोई परे हुए पदार्थ को पूजने के पशु के ( समाधि समान विवेकहीन या कब में पड़े हुए व्यक्ति मूर्तियों को पूजता है मुर्दे ) को वा निर्जीव - जड़ लिए दौड़ता है - विकल होता है । गुरु गोविन्द सिंहजी महाराज कहते हैं कि संसार के सभी लोग झूठे व्यवहार में उलझे हुए हैं ; श्री भगवान् का वास्तविक भेद किसी ने नहीं पाया ॥ १० ॥


आगे है-

नानक वाणी 46   ॥ रामकली , पातशाही १० ॥

रे मन ऐसो करि संनिआसा ॥ 
वन से सदन सभै करि समझहु , मन ही माहिं उदासा ॥ रहाउ ॥ जत की जटा जोग को मज्जन , नेम के नखन बढ़ाउ ।। गिआन गुरू आतम उपदेसहु , नाम विभूत लगाउ । अलप अहार सुलप सी निद्रा , दया छिमा तन प्रीति ॥ सील संतोष सदा निरवाहबो , हैवो त्रिगुन अतीत ॥ काम क्रोध हंकार लोभ हठ , मोह न मन सिऊ लयावै ॥ ए तबही आतम तत को दरसै , परम पुरुष कह पावै ॥... 

इस भजन के बाद वाले भजन  ''रे मन ऐसो करि संनिआसा ॥ ...''   को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए  👉  यहां दबाएं।


प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी-सुधा-सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि   ईश्वर की भक्ति कैसे करें, भगवान से प्रेम कैसे करें, परमात्मा की भक्ति कैसे करें, भगवान को कैसे प्राप्त करें, भक्ति करने के फायदे, भगवान के दर्शन कैसे    इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है। 




संतवाणी-सुधा सटीक, पुस्तक, स्वामी लाल दास जी महाराज टीकाकृत
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नानक वाणी 45 काहू लै पाहन पूज धरो सिर भावार्थ सहित || परमात्मा की प्राप्ति के प्रसिद्ध उपाय नानक वाणी 45   काहू लै पाहन पूज धरो सिर   भावार्थ सहित  ||  परमात्मा की प्राप्ति के प्रसिद्ध उपाय Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/09/2021 Rating: 5

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