'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संतवाणी-सुधा सटीक से संत सद्गरु बाबा श्री गुरु नानक साहब जी महाराज की वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी बारे मेंं जानकारी दी जाएगी। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराजने लिखा है।
इस भजन के पहले वाले भजन '' रे मन ऐसो करि संनिआसा ॥ ,....''को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए 👉 यहाँ दवाएँ.
ॐ मंत्र मैडिटेशन, ॐ जाप के फायदे
प्रभु प्रेमियों ! सतगुरु बाबा नानक साहब (गरु गोविन्द सिंह जी महाराज) जी महाराज इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद) द्वारा कहते हैं कि- सतगुरु बाबा नानक साहब का बीज मंत्र क्या है? किस शब्द से सृष्टि का निर्माण होता है? परमात्मा की अपनी वाणी क्या है? परमात्मा की वाणी क्या संदेश देती है? उस शब्द को कौन सुन सकता है? आदि बानी का स्वरूप कैसा है? परमात्मा की वाणी ने क्या-क्या उत्पन्न किया है? उससे कौन-कौन से काम होते हैं? परमात्मा की वाणी कहां-कहां फैला हुआ है? उस वाणी को कैसे सुन सकते हैं? उस वाणी का भेद कौन बताता है? परमात्मा की वाणी सदा एकरस, एक समान बना रहता है? क्या उसे किसी भी समय सुना जा सकता है? किनकी दया से उस शब्द का ज्ञान होता है? आदि बातें। अगर आपको इन सारी बातों को अच्छी तरह समझना है तो इस पोस्ट को पूरी अच्छी तरह समझते हुए पढ़ें-
[ हैदराबाद सिन्ध निवासी स्वर्गीय सेठ चिमनदास रूपचंदजी के सुपुत्र भाई गोविन्दराम चिमनदासजी ने अपने पूज्य पिता की पाठ्य पुस्तक को सर्व उदासीन साधु ( नानकशाही बाबा श्रीचन्दजी के अनुयायी ) मात्र के पाठ करने के लिए परमार्थरूप में छपवाकर दान दिया , उसी पुस्तक में से संकलित ।]
ओअंकार सबदि ओअंकार बानी । ओअंकार ने गति ओअंकार की जानी ॥ सबदे धरती सबदे आकास । सबदे सबदि भया प्रकास ॥ नीचे धरती ऊपर आकास । X X X ओअं सोहं आपे आप | आप जपाये सोहं का जाप ॥ ओअं अमर पिण्ड अखण्ड काइआ । गिआन सरूप सतिगुरू सुनाइआ ॥ मरै न पिण्ड छीजै न काइआ । सतिगुरु का सबदि उलट हिरदै में समाइआ ॥ पुहपव अलीलं बार बार जाउ , असीलं अकोकं अथेबं बीजमंत्र अनंत । गुटका श्री नानक देवजी श्रीचंद को , सबद करम कर सुनाइआ ॥
शब्दार्थ -
छीजै = छीजता है , क्षीण होता है , घटता है , कम होता है , नष्ट होता है । पुहपव = पृथ्वी । अलीलं - अनीलं , नीला आकाश । ( अरबी भाषा में ' अलील ' का अर्थ बीमार या रुग्ण होता है ; परन्तु यहाँ ' अलीलं ' नीले आकाश के अर्थ में प्रयुक्त किया गया जान पड़ता है । ) असीलं = असल , असली , सत्य , सीधा - सादा । ( अरबी भाषा में ' असीलं ' का अर्थ उत्तम या शुद्ध भी होता है । ) अकोकं = अकूक , जिसका उच्चारण मुँह से नहीं किया जा सके । अथ = एक मंगलसूचक संस्कृत शब्द जिसका प्रयोग प्राचीन काल में किसी रचना के आरंभ में किया जाता था । ( इसका अर्थ ' यहाँ , अब , प्रारंभ , अधिकार ' भी किया जाता है । ) बीजमंत्र = मूलमंत्र , जो सब मंत्रों ( शब्दों ) का बीज ( उत्पत्ति का कारण ) हो , जिस मंत्र ( शब्द ) के अंदर सारे मंत्र ( शब्द ) समाहित हो जाएँ , ओ ३ म् । अनंत =अंत - रहित , अपार । गुटका - छोटे आकार की पुस्तक | श्रीचन्द = गुरु नानकदेवजी के एक पुत्र जो संन्यासी और ' उदासी संप्रदाय ' के आचार्य थे । करम - दया । ( अन्य शब्दों की जानकारी के लिए "संतमत+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश" देखें )
अब श्रीगुरु नानकदेवजी महाराज का बीजमंत्र ( ओंकार से संबंधित पद्य ) लिखा जाता है - ओंकार सृष्टि का आदिशब्द है । ओंकार परमात्मा की निज वाणी है , जिसके द्वारा वह सबको अपनी ओर बुला रहा है । ओंकार की गति ओंकार ही जानता है अर्थात् ओंकार की गति ( स्थिति , स्वरूप ) ओंकार के समान है , भाव यह है कि ओंकार के समान दूसरा कोई शब्द नहीं है , वह अनुपम है ।
आदिशब्द से ही धरती बनी है ; आदिशब्द ( ओंकार ) से ही आकाश ' बना है । शब्द - ही- शब्द से प्रकाश हुआ है अर्थात् आदिशब्द स ही प्रकाश उत्पन्न हुआ है ।
नीचे धरती में और ऊपर आकाश में अथवा नीचे पिण्ड में और ऊपर ब्रह्माण्ड में सर्वत्र ओ ३ म् सोऽहम् ( ओंकार अजपा जप ) अपने - आप ध्वनित हो रहा है । किसी के द्वारा मुँह से उच्चारित किये बिना ही अथवा किसी पदार्थ के कंपित हुए बिना ही सोहं जाप ( ओंकार ) शरीर के अंदर अपने - आप ध्वनित होता हुआ सुनाई पड़ता है ।
ओंकार का पिण्ड ( शरीर , स्वरूप , स्थिति ) अमर है ; ओंकार की काया ( शरीर , स्वरूप , स्थिति ) अखण्डित है अर्थात् ओंकार अविनाशी शब्द है , वह अखंडित रूप से निरंतर - सदा सर्वदा ध्वनित होता रहता है । ओंकार ज्ञानस्वरूप ( चेतन ) है- ऐसा सद्गुरु ने सुनाया है ।
ओंकार का पिंड ( सत्ता ) कभी नष्ट नहीं होता है । ओंकार की काया ( अस्तित्व ) कभी छीजती नहीं है अर्थात् ओंकार समान तीव्रता से ध्वनित हो रहा है उसकी तीव्रता में कभी कमी - बेशी नहीं होती ।
उलटने ( अंतर्मुख होने ) पर सद्गुरु का शब्द ( ओंकार ) हृदय में समाता है अर्थात् हृदय में सुनाई पड़ता है अथवा संसार से उलटकर हृदय में प्रवेश करने अटूट पर वह सद्गुरु का शब्द ग्रहण होता है ।
पृथ्वी और आकाश अर्थात् ब्रह्माण्ड की सारी चीजें बारंबार नष्ट होती रहती है ; परंतु सृष्टि का आदिबीजमंत्र ( ओंकार ) असली ( सत्य ) , मुँह से नहीं उच्चारण किये जानेयोग्य और अपार है ।
इस गुटके ( छोटे आकार की इस पुस्तक ) के शब्द को दया करक करके श्रीगुरु नानकदेवजी महाराज ने श्रीचन्दजी को सुनाया ।∆
आगे है-
॥ 'ॐ मात्रा' बाबा श्रीचन्दजी की ॥
कहो जी बाले !
किसने मूँड़ा , किसने मुँड़ाया । किसका भेजा नगरी आया ॥ सतगुर ने मूँड़ा , लेख मुँड़ाया । गुरु का भेजा नगरी आया ॥ चेतो नगरी तारो गाम । अलख पुरुष का सुमिरो नाम ॥ की गुरु अविनाशी खेल रचाया । अगम निगम का पंथ बताया ॥ . ...
इस भजन के बाद वाले भजन ''ओअंकार सबदि ओअंकार बानी....'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए 👉 यहां दबाएं।
संतवाणी-सुधा-सटीक पुस्तक में उपरोक्त वाणी निम्न चित्र की भांति प्रकाशित है-
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी-सुधा-सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि किसी बीज मंत्र का पहला अक्षर क्या है, बीज मंत्र कौन कौन से हैं, बीज मंत्र का क्या मतलब है, ॐ बीज मंत्र किसका है, , गुरु नानक मंत्र, सबसे अच्छा मंत्र कौन सा है, शक्तिशाली मंत्र कौन सा है, मंत्र कौन कौन से होते हैं, मंत्र को कैसे सिद्ध किया जाता है, ओम का जाप करने से क्या लाभ होता है, ओम का सही उच्चारण क्या है, ओम क्या है, ओम का अर्थ क्या है, ओम किसका प्रतीक है,ओम मंत्र का जाप कैसे करें, ओम मंत्र की शक्ति, ओम मंत्र का चमत्कार, ओम के उच्चारण से हमें अनेक लाभ होते हैं, ॐ का विज्ञान, ओम का उच्चारण करने से कौन सी गैस ज्यादा मात्रा में बाहर निकलती है, ॐ की सिद्धि, ओम का उच्चारण कैसे करें, ॐ मंत्र मैडिटेशन, ॐ की उत्पत्ति कहां से हुई, जाप के फायदे, ओम शब्द, ॐ कौन है,.इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
अगर आप 'संतवाणी-सुधा सटीक"' पुस्तक से महान संत सद्गुरु श्री नानक साहब जी महाराज के अन्य पद्यों को अर्थ सहित जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो यहां दबाएं।
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए शर्तों के बारे में जानने के लिए. यहां दवाएं।
---×---
नानक वाणी 48 ओअंकार सबदि ओअंकार बानी भावार्थ सहित || ॐ मंत्र मैडिटेशन, ॐ जाप के फायदे
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
12/13/2021
Rating: 5
गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया सत्संग ध्यान से संबंधित किसी विषय पर जानकारी या अन्य सहायता के लिए टिप्पणी करें।