बाले- ऐ बच्चे !
किसने मूँड़ा- किसने संन्यासी बनाया , किसने दीक्षित किया ।
किसने मुँड़ाया- किसकी प्रेरणा से संन्यासी हुआ ।
लेख- संस्कार , धर्मशास्त्र , विचार |
चेतो =चेताओ , जगाओ ।
तारो - उद्धार करो ।
गाम = गाँव |
अलख पुरुष = वह परम पुरुष जो स्थूल या सूक्ष्म दृष्टि से न देखा जाए , परमात्मा ।
अगम = आगम , शास्त्र |
निगम = वेद ।
गोदड़ी - गुदड़ी , फटे - पुराने कपड़ों को जोड़कर बनायी गयी कथरी ।
छेमा = क्षमा ।
जत = यतिपन , इन्द्रिय संयम , त्याग , वैराग्य , यम-नियम ।
आड़बंद = कटिसूत्र , कमरकस , कमरबंद , फकीरों की लँगोटी ।
सील - शील , सत्य और नम्र व्यवहार ।
अकाल - जो काल ( समय और स्थान ) से परे हो , परमात्मा ।
खिंथा - कंथा , गुदड़ी ।
लंगोटी - कौपीन , कछनी ।
निरास - निराशा , सांसारिक पदार्थों से सुख पाने की इच्छा न रखना ।
जुगत = योग - युक्ति ।
गुरमुखी बोली- गुरुमुख से निकली हुई बोली ( ज्ञान ) |
धरम = धर्म , वैदिक धर्म चोला पोशाक , एक प्रकार का बहुत लंबा और ढीला - ढाला कुरता जिसे साधु - फकीर पहनते हैं ।
सत - सत्य ।
सेली - काले ऊन से बना यज्ञोपवीत जनेऊ ।
मरजादा = मर्यादा , शिष्टाचार , सदाचार ।
मेखली = कपड़े का वह टुकड़ा जिसे साधु लोग गले में डाले रहते हैं ।
निरत = संलग्नता , नृत्य ।
मेली = डाला , रखा ।
सूईदान = सूई रखने की डिबिया ।
अंचल - अँचला , कटिवस्त्र , कपड़े का एक टुकड़ा जिसे साधु लोग धोती के स्थान पर लपेटे रहते हैं ।
सुजान = सुंदर ज्ञानवाले , संत ।
मोरछड़ - मोरछल , मयूर के पंखों का बना चँवर ।
बहुरंग - बहुत रूप धारण करनेवाला , परमात्मा ।
बिसटी = लँगोटी ।
निरभो = निर्भयता ।
जंगडोरा = चँवर बाँधने का रस्सी ।
ना को द्विसटी = किसी से द्वेष नहीं ।
जंगोटा = मृगचर्म से बना लँगोटा ।
सिफट = सिफत , गुण ।
उड़ानी = उड़ान ।
सिंगी = सींग से बना हुआ एक बाजा ।
गुरु बानी = आदिगुरु परमात्मा की वाणी , अनाहत नाद |
सरम = शर्म , लज्जा ।
मुंद्रा = मुद्रा , कानों में जानेवाले कुंडल |
सिव = शिव , कल्याणकारी संकल्प ।
विभूता = भभूत , भस्म ।
म्रिगानी = मृगछाला ।
गुरपूता = गुरुज्ञान पवित्र हुआ व्यक्ति ।
टली = फटे - पुराने कपड़ों के टुकड़े ।
सुरति = ध्यान , ख्याल , प्रेम ।
निरभौ = थीवे निर्भय होता है ।
सयाह = काला , शूद्र ।
सुपैद - उजला , ब्राह्मण ।
जरद = पीला , वैश्य ।
सुरखाई - सुर्ख , लाल , क्षत्रिय ।
चकमक = एक पत्थर जिसको रगड़ने से आग प्रकट होती है ।
अगन = अग्नि ।
मत = मथकर ।
क्रिपाली = कपाल , खप्पर ।
भाउ = भाव , प्रेम ।
फरुआ - काठ का बना हुआ भिक्षा माँगने का पात्र ।
कर मंडल = कमंडल ।
तूंबा - तँबा , सूखे कद्दू को खोखला करके बनाया गया एक बरतन ।
घणा = बहुत, बहुत प्रकार के |
उदक = जल ।
मनि = मन ।
इड़ा = प्राण संचरण का बायाँ मार्ग |
पिंगला - चेतन धारा के चलने का दायाँ मार्ग ।
रिधि = ऋद्धि , सुख - समृद्धि ।
अमर पद = अविनाशी पद , परमात्मा ।
डंडा - दंड , लाठी ।
फहुड़ी = कुदाल ।
खंडा = खड्ग , तलवार ।
आसा = असा , लाठी , सोंटा ।
चौगान = मैदान |
सगल = सकल , सभी ।
पाषर - पाखर , फौलादी जो युद्ध में घोड़े या हाथी को पहनाया जाता है ।
पौन - पवन , साँस , प्राणायाम |
जीन - पलान ।
तत - पाँच तत्त्व ।
जोड़ा =जूते ।
कमान = धनुष ।
अकल = बुद्धि ।
संयोग - संजोह , कवच ।
बरछी - भाला ।
नउवत = नौबत , शहनाई ।
वाइआ = बजाया ।
सूछम वेद - सामवेद ।
सोहं जाप = अनाहत नाद |
परोती = फिराता हूँ , फेरता हूँ ।
सिषिया = शिखा ।
तरपणि - तर्पण , तृप्ति |
छापा - मोहर , ठप्पा , भगवान् विष्णु के आयुधों ( हथियारों ) के चिह्न जिन्हें भक्त अपने शरीर पर अंकित कराते हैं ।
संध्या = उपासना ।
आपा = अहंकार ।
चीत = चित्त ।
चितम्बर = चिदम्बर , चिदाकाश , निर्मल चेतन आकाश ।
रुणझुण - अनाहत नाद ।
बाघंबर = बघछाला ।
कुलाह - ऊँची नोकदार टोपी ।
पुसतीन = पुस्तीन , रोएँदार पशुओं की खाल से बना कोट ।
षउस ,
षड़ावा = खड़ाऊँ ।
तोड़ा - सोने - चाँदी आदि की सिकड़ी जो हाथ या गले में पहनी जाती है ।
चूड़ा = हाथ में पहनने का एक आभूषण ।
जटाजूट = जटाओं का समूह ।
मुकत = मुक्त , मुक्ति , मुकुट ।
पछाणे = पहचाने जाने ।
तत - तत्त्व , परमात्मा ।
विरोले = छानबीन करे ।
मात्रा = पोशाक , पहरावा , उपयोग में लायी जानेवाली चीजें । (
अन्य शब्दों के लिए देखे Santmat+ Moksh-Darshan ka Shabdakosh by Laldas )
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