कबीर वाणी 01 । Why is devotion required । सुमिरन बिना गोता खाओगे । चेतावनी भजन अर्थ सहित

संत कबीर साहब की बानी / 01

    प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीकअनमोल कृति है। इसी कृति के एक अंग से   संत श्री कबीर साहब की वाणी "सुमिरन बिन गोता खाओगे...' भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी पढेंगे। जिसे सद्गुरु महर्षि  मेंहीं परमहंस जी महाराज ने लिखा है।

 संत कबीर जी महाराज की इस भक्ति भजन (कविता, गीत,्भजन कीर्तन, पद्य, वाणी, छंद) "अति अहार यंद्री बल करें ।,..." में बताया गया है कि- सुमिरन का अर्थ क्या है? निरंकारी सुमिरन, सुमिरन क्यों न करे? कबीर दास की रचना, कबीर के दोहे मीठी वाणी, कबीर के दोहे धर्म पर,संत कबीर के दोहे,कबीर के दोहे साखी,चेतावनी दोहे,कर्म के दोहे,कबीर दास के भजन,कबीर वाणी अर्थ सहित,Kabir's hymns, Kabir Bhajan in Hindi, Kabir's couplets, Kabir Bhajan Vani, Kabir Bani, Kabir's post, Bhajan download of Kabir Sahib, Sadguru Kabir Sahab, Kabir Sahab narrated, Sumiran would eat without dive,कबीर के पद अर्थ सहित,कबीर वाणी अमृत संदेश, चेतावनी भजन, सुमिरन बिन गोता खाओगे,Why is devotion required आदि बातें।

सदगुरु कबीर साहब के इस भजन के पहले महायोगी गोरखनाथ जी महाराज की वाणी है। उसे अर्थ सहित पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।


संत कबीर साहब और टीकाकार, टीकाकार- पूज्यपाद लालदास जी महाराज और कबीर साहब
संत कबीर साहब और टीकाकार

Why is devotion required

सदगुरु कबीर साहब जी महाराज कहते हैं- ईश्वर के भजन के बिना, नाम स्मरण के बिना भवसागर में बार-बार जन्मना और मरना पड़ता है। इसी बात को संत कबीर साहब स्मरण दिलाते हुए अत्यंत दृढ़ शब्दों में कहते हैं- 'सुमिरन बिन गोता खाओगे,... निम्नांकित भजन और भावार्थ पढ़ें-

 संत कबीर साहब की वाणी

 ॥ मूल पद्य । ।

सुमिरन बिन गोता खावोगे । टेक ॥
मुट्ठी बाँधे गर्भ से   आये ,   हाथ  पसारे   जावोगे ॥ १ ॥
जैसे मोती फरत ओस के , बेर भये झरि जावोगे ॥ २ ॥ जैसे हाट लगावै हटवा , सौदा बिन पछितावोगे ।। ३ ।। कहै कबीर सुनो भाई साधो , सौदा लेकर जावोगे ।। ४ ।।


सद्गुरु महर्षि मेंही और टीकाकार महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज।
सद्गुरु महर्षि मेंहीं और टीकाकार स्वामी संतसेवी जी

 पद्यार्थ - सर्वेश्वर के स्मरण - भजन किये बिना संसार - सागर में गोता खाओगे अर्थात् आवागमन के चक्र में पड़े रहोगे । माता के गर्भ से मुट्ठी बाँधे हुए आये थे अर्थात् मानव - जीवन की अनमोल पूंजी लेकर आये थे ; किन्तु ईश्वर - भक्ति से हीन रहने के कारण यहाँ से हाथ पसारे अर्थात् खाली हाथ जाओगे । जैसे घास के ऊपर मोती की भाँति सुन्दर दीखनेवाली ओस की बूंदें  समय आने पर अल्पकाल में ही झड़ जाती हैं , उसी भाँति तुम्हारा यह सुन्दर सलोना शरीर भी देखते - ही - देखते विनष्ट हो जाएगा - विलम्व नहीं लगेगा । जैसे कोई दुकानदार अपनी दुकान खोले ; किन्तु उसके पास सौदा यानी बिक्री का उपयुक्त सामान नहीं हो , तो वह दु : खी होता है , उसी भाँति यह संसार परम पिता परमेश्वर की हाट है और तुम यहाँ ईश्वर - भक्ति का व्यापार करने के लिए आये हो । सो यदि तुम ईश्वर - भक्ति से वञ्चित रहे , तो तुम महाद : खी होओगे । संत कबीर साहब कहते हैं कि हे साधो भाई ! सुनो , ऐसा कर्म करो जिससे ईश्वर - भक्तिरूपी सौदा लेकर इस संसार से जा सको । अन्यथा पश्चात्ताप के सिवा और तुम्हारे हाथ ही क्या आ सकता है ?

इस भजन के बाद संत कबीर साहब के दूसरे भजन को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए  यहां दवाएं


     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  ईश्वर के भजन के बिना इस संसार मेंं मनुष्य का जन्म व्यर्थ हो जाएगा, बेकार हो जाएगा । जिसके अंत में पछताना निश्चित है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।



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कबीर वाणी 01 । Why is devotion required । सुमिरन बिना गोता खाओगे । चेतावनी भजन अर्थ सहित कबीर वाणी 01 । Why is devotion required । सुमिरन बिना गोता खाओगे । चेतावनी भजन अर्थ सहित Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/28/2020 Rating: 5

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