महर्षि मेंहीं पदावली /106
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 106 वें पद्य -"गुरु सतगुरु समहित नहीं कोई.,.." का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्य पाद संतसेवी जी महाराज और पूज्य पाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
गुरु सेवा की महिमा का वर्णन करते हुए, गुरु महाराज का यह भजन बहुत ही प्रेरणादायक है।
गुरु की सेवा भक्ति, अर्चन, गुरु-पूजा, भक्तिभाव से सेवा, कमाई, गुरु सेवायुक्त सुमिरन का महत्व बहुत ज्यादा है। इन्हीं सेवा के बल पर बहुत छोटे-से-छोटे लोग बहुत बड़े-बड़े पद को प्राप्त कर लिए हैं।
गुरु सेवा की महिमा का वर्णन करते हुए, गुरु महाराज का यह भजन बहुत ही प्रेरणादायक है।
गुरु की सेवा भक्ति, अर्चन, गुरु-पूजा, भक्तिभाव से सेवा, कमाई, गुरु सेवायुक्त सुमिरन का महत्व बहुत ज्यादा है। इन्हीं सेवा के बल पर बहुत छोटे-से-छोटे लोग बहुत बड़े-बड़े पद को प्राप्त कर लिए हैं।
इस पद्य के पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए
यहां दबाएं।गुरु की तुलना किसी से नहीं पर चर्चा करते गुरुदेव |
Guru mahima nirgun bhajan
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं- "दुनिया में जितने भी हितैषी हैं- माता-पिता, भाई-बंधु, परिवार इन सब से विशेष हितैषी सद्गुरु होते हैं? इसलिए इनकी सेवा नित्य प्रति प्रेम पूर्वक करनी चाहिए।.Guru mahima nirgun bhajan "गुरु सतगुरु समहित नहीं कोई,..." इसके बारे में अच्छी तरह जानने के लिए इस भजन के पदार्थ, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी पढ़ें।
पदावली भजन 106 टीका सहित |
लालदास जी महाराज द्वारा लिखित पदावली भजन 106 का टीका |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली सटीक" के भजन नं. 106 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के पाठ से जाना कि जीवन में गुरु की बहुत आवश्यकता है, इसलिए प्रेम से उनकी सेवा करनी चाहिए। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
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महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P106, Guru mahima nirgun bhajan "गुरु सतगुरु समहित नहीं कोई,..." महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
11/14/2018
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