महर्षि मेंहीं पदावली / 92
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 92वां पद्य "भजो भजो गुरुदेव हो भाई।,...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "भजो भजो गुरुदेव हो भाई,..." में बताया गया है कि- सर्वश्रेष्ठ भक्ति क्या है? 33 करोड़ देवी देवताओं में गुरु-भक्ति को सर्वश्रेष्ठ क्यों बताया गया है? गुरु भक्ति कैसे करना चाहिए? इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- कुप्पाघाट का भजन,
भजो भजो गुरुदेव हो भाई, गुरु सेवा कैसे करें, गुरु सेवा करने के लाभ, अन्य भक्ति से गुरु भक्ति श्रेष्ठ, सर्वश्रेष्ठ गुरु भक्ति, गुरु भक्ति की विशेषता,भक्ति की विशेषताएं बताइए,भक्तिकाल की विशेषताएँ,भक्तिकाल की विशेषताएं बताइए,भक्ति काल के उदय के कारण,भक्ति का उदय,भक्ति की परिस्थितियाँ, भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ,गुरु भक्ति काव्य की विशेषता।
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गुरु भक्ति की विशेषता पर चर्चा करते गुरुदेव
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे भाइयों ! गुरुदेव की भक्ति करो। अपने शरीर, मन, धन और पत्नी-पुत्रादि आश्रित लोगों को समर्पित करके गुरुदेव की सेवा या भक्ति करो।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन नंबर 92
पदावली भजन 92 और शब्दार्थ, भावार्थ टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 92 का टिप्पणी।
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 92वां पद्य "भजो भजो गुरुदेव हो भाई।,...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "भजो भजो गुरुदेव हो भाई,..." में बताया गया है कि- सर्वश्रेष्ठ भक्ति क्या है? 33 करोड़ देवी देवताओं में गुरु-भक्ति को सर्वश्रेष्ठ क्यों बताया गया है? गुरु भक्ति कैसे करना चाहिए? इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- कुप्पाघाट का भजन,
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सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे भाइयों ! गुरुदेव की भक्ति करो। अपने शरीर, मन, धन और पत्नी-पुत्रादि आश्रित लोगों को समर्पित करके गुरुदेव की सेवा या भक्ति करो।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन नंबर 92 |
पदावली भजन 92 और शब्दार्थ, भावार्थ टिप्पणी। |
पदावली भजन नंबर 92 का टिप्पणी। |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 92 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि सर्वश्रेष्ठ भक्ति क्या है? 33 करोड़ देवी देवताओं में गुरु-भक्ति को सर्वश्रेष्ठ क्यों बताया गया है? गुरु भक्ति कैसे करना चाहिए?। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P92, Specialty of guru devotion "भजो भजो गुरुदेव हो भाई,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
2/19/2020
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