P91, Way to end sadness "गुरु गुरु त्राहि गुरु त्राहि गुरु कहु हो।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
महर्षि मेंहीं पदावली / 91
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 91वां पद्य "गुरु गुरु त्राहि गुरु त्राहि गुरु कहु हो।,...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "गुरु गुरु त्राहि गुरु त्राहि गुरु कहु हो।,..." में बताया गया है कि- दुख निवृत्ति,टेंशन,बीमारी,दुखी मन,गरीबी आदि दूर करने का उपाय बताया गया है। इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- सत्संग ध्यान,महर्षि मेंहीं पदावली, भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन, दुख दूर करने का उपाय,गरीबी दूर करने के रामबाण उपाय,जब मन दुखी हो तो क्या करना चाहिए,बीमारी दूर करने के उपाय,संकट दूर करने के उपाय,टेंशन दूर करने का उपाय,दुख निवृत्ति के उपाय।
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दुख गरीबी आदि दूर करने के उपाय पर चर्चा करते गुरुदेव
Way to end sadness
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे प्यारे भाइयों ! गुरु शब्द का सदा जप करते रहो और 'हे गुरु ! रक्षा करो, हे गुरु ! रक्षा करो' ऐसी रट भी अत्यंत दुखी भाव से बारंबार लगाते रहो (ऐसी प्रार्थना या पुकार भी बारंबार करते रहो) अपने शरीर और मन को गुरु-चरणों की सेवा में अर्पित कर दो।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-

पदावली भजन 91 और शब्दार्थ।

पदावली भजन 91 का भावार्थ टिप्पणी।
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प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 91वां पद्य "गुरु गुरु त्राहि गुरु त्राहि गुरु कहु हो।,...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "गुरु गुरु त्राहि गुरु त्राहि गुरु कहु हो।,..." में बताया गया है कि- दुख निवृत्ति,टेंशन,बीमारी,दुखी मन,गरीबी आदि दूर करने का उपाय बताया गया है। इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- सत्संग ध्यान,महर्षि मेंहीं पदावली, भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन, दुख दूर करने का उपाय,गरीबी दूर करने के रामबाण उपाय,जब मन दुखी हो तो क्या करना चाहिए,बीमारी दूर करने के उपाय,संकट दूर करने के उपाय,टेंशन दूर करने का उपाय,दुख निवृत्ति के उपाय।
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दुख गरीबी आदि दूर करने के उपाय पर चर्चा करते गुरुदेव |
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सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे प्यारे भाइयों ! गुरु शब्द का सदा जप करते रहो और 'हे गुरु ! रक्षा करो, हे गुरु ! रक्षा करो' ऐसी रट भी अत्यंत दुखी भाव से बारंबार लगाते रहो (ऐसी प्रार्थना या पुकार भी बारंबार करते रहो) अपने शरीर और मन को गुरु-चरणों की सेवा में अर्पित कर दो।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 91 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि दुख निवृत्ति,टेंशन,बीमारी,दुखी मन,गरीबी आदि दूर करने का क्या उपाय है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
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Reviewed by सत्संग ध्यान
on
2/18/2020
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