महर्षि मेंहीं पदावली / 122
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 122वां पद्य "नाहिंन करिये जगत सों प्रीती,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज, पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "नाहिंन करिये जगत सों प्रीती,..." में बताया गया है कि- संसार की वास्तविक स्थिति का ज्ञान और आत्मज्ञान की प्राप्ति की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया गया है। इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-ना-कुछ जानकारी मिलेगी- संसार का प्रेम कैसा होता है, हमारा संसार कैसा है,संसार का स्वभाव, संसार की वास्तविक स्थिति, सांसारिक लोगों का व्यवहार, संसार से मुक्त व्यक्ति, सच्चा सतगुरु और संसार मुक्त पुरुष,मोरे संसार में,मोर संसार मा,मोरे संसार मा,घर संसार,हम संसार में क्यों आये,Why did we come in this world,प्रेम क्यों होता है,निस्वार्थ प्रेम क्या है,सच्चा प्रेम क्या है,प्रेम का वास्तविक अर्थ,प्रेम क्या है एक शब्द में,प्रेम का अर्थ,प्रेम परिभाषा,प्यार का सही अर्थ।
इस पद्य के पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए
यहां दबाएं।संसार की वास्तविक स्थिति का वर्णन करते गुरुदेव। |
Real world situation
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे आत्मकल्याण चाहनेवाले लोगों ! संसार में अपने मन को आसक्त मत करो। संसार से प्यार मत करो।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन नंबर 122 और शब्दार्थ। |
पदावली भजन नंबर 122 का भावार्थ और टिप्पणी। |
संसार रूपी वृक्ष की स्थिति। |
पूज्यपाद संतसेवीजी महाराज द्वारा किया गया टीका-
गुरु महाराज का होली भजन और शब्दार्थ। |
सद्गुरु महर्षि मेंहीं के होली भजन का भावार्थ। |
पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
संतो की होली |
इस भजन के बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 122 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि संसार की वास्तविक स्थिति का ज्ञान और आत्मज्ञान की प्राप्ति की आवश्यकता के बारे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P122, Real world situation "नाहिंन करिये जगत सों प्रीती,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
3/04/2020
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