P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।।

महर्षि मेंहीं पदावली / 123

प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावलीउ" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 123वां पद्य  "समय गया फिरता नहींं,....''  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के  बारे में। जिसे  पूज्यपाद लालदास जी महाराज,  पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और  पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "समय गया फिरता नहींं,..." में बताया गया है कि- अत्यंत बहुमूल्य कीमती समय का सदुपयोग कैसे करें? इसका सही सदुपयोग क्या है? जिससे इसी मनुष्य-जन्म में ही परमलाभ मिल सके। इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-ना-कुछ जानकारी मिलेगी- भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन, समय गया फिरता नहींं,समय का सदुपयोग रूपरेखा,समय का सदुपयोग पर भाषण,समय का सदुपयोग पर निबंध wikipedia,समय का सदुपयोग निबंध प्रस्तावना,समय का सदुपयोग पर आसान निबंध in hindi,समय का सदुपयोग पर निबंध 100 शब्द,समय का सदुपयोग पर निबंध रूपरेखा सहित,समय का सदुपयोग पर कविता,समय का सदुपयोग पर कहानी,समय का सदुपयोग पर anuched,समय का सदुपयोग पर उपसंहार,समय का सदुपयोग पर पत्र।

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P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। समय का सदुपयोग कैसे करें? इस पर चर्चा करते गुरुदेव।
समय का सदुपयोग कैसे करें ? इस पर चर्चा करते गुरुदेव।

How to use time properly? 

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी  कहते हैं- "बीता हुआ समय लौटकर फिर नहीं आता, इसलिए शीघ्र ही अपना ईश्वर-भक्तिरूपी काम आरंभ कर दो।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
॥ दोहा ॥

समय गया फिरता नहीं, झटहिं करो निज काम । जो बीता सो बीतिया, अबहु गहो गुरु नाम ॥ १ ॥ सन्तमता बिनु गति नहीं, सुनो सकल दे कान । जौं चाहो उद्धार को, बनो सन्त सन्तान ॥२॥ 'मे ँहीँ' मे ँहीँ ँ भेद यह, सन्तमता कर गाइ । सबको दियो सुनाइ के, अब तू रहे चुपाइ ॥ ३ ॥

शब्दार्थ - समय गया गया हुआ या बीता हुआ समय । फिरता नहीं लौटता नहीं, वापस होता नहीं । झटहिं शीघ्र ही । निज काम अपना काम, जो काम स्वयं अपने से करने पर हो-दूसरे से नहीं कराया जा सके, चेतन आत्मा से होनेयोग्य काम, ईश्वर भक्ति । गुरु नाम गुरुमंत्र अथवा आदिगुरु परमात्मा का असली नाम, ध्वन्यात्मक सारशब्द । गति = परम गति, सबसे अच्छी दशा, परम मुक्ति । दे कान कान देकर, ध्यान देकर, मन लगाकर । संत संतान संत का अनुयायी, संतों का ज्ञान अपनानेवाला । कर = का, के, की । मे हीँ =महीन, सूक्ष्म, गंभीर । अबहु-अब भी । गहो = ग्रहण करो, पकड़ो। सकल= सब । उद्धार कल्याण । भेद-युक्ति, रहस्य । तू-तो । चुपाइ-चुप होकर, चुप्पी साधकर मौन होकर ।

भावार्थ- बीता हुआ समय लौटकर फिर नहीं आता, इसलिए शीघ्र ही अपना ईश्वर भक्तिरूपी काम आरंभ कर दो। जो समय बीत गया, उसकी तो बात ही छोड़ दो; अब जो समय बचा हुआ है, उसमें भी तो गुरुमंत्र का जप करो अथवा आदिगुरु

पदावली भजन नंबर 123 और शब्दार्थ |

परमात्मा के असली नाम (ध्वन्यात्मक सारशब्द ) को पकड़ने की कोशिश करो ॥ १ ॥ सब कोई ध्यान देकर सुनो कि संतों के विचारों को अपनाये बिना किसी को भी परम . मोक्ष नहीं हो सकता। इसलिए यदि अपना परम कल्याण चाहते हो, तो संतों के विचारों को अपनानेवाले बनो ॥२॥ सद्गुरु महर्षि में हीँ परमहंसजी महाराज कहते हैं कि संतों का छिपा हुआ गंभीर ज्ञान पद्यों में गा-गाकर सबको सुना दिया; अब मैं चुप्पी साधकर रहता हूँ; तात्पर्य यह कि अब मैं पद्य रचना के द्वारा कुछ कहना बंद करता हूँ ॥३॥

टिप्पणी- १. अत्यधिक उत्साह और लगन हो, तो कम समय में भी बहुत अधिक काम किया जा सकता है । सांसारिक भावों से ऊपर उठने पर ईश्वर भक्ति करने का उत्साह प्राप्त हो जाता है । उत्साह रहने पर कर्म में आनंद आता है । २. यह पद्य 'सत्संग-योग' के चौथे भाग में ४७वें पद्य के नीचे है । ३. ३रा, ११वाँ और १२३ वाँ पद्य दोहा छन्द में आबद्ध है । दोहा छन्द में चार चरण होते हैं और चारो चरण दो पंक्तियों में लिखे जाते हैं । इसके पहले और तीसरे चरण में १३-१३ तथा दूसरे और



P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। पदावली भजन नंबर 123 और शब्दार्थ।
पदावली भजन नंबर 123 और शब्दार्थ।

P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। रावली भजन नंबर 127 का भावार्थ और टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 123 का भावार्थ और टिप्पणी।

पूज्यपाद संतसेवीजी महाराज द्वारा किया गया टीका-


P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। समय का सदुपयोग पर दोहा।
समय का सदुपयोग पर दोहा।

P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। समय का सदुपयोग कैसे करें?
समय का सदुपयोग कैसे करें?

पूज्यपाद श्रीधर दासजी महाराज द्वारा किया गया टीका-

P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। गुरु महाराज का भजन नंबर 123
गौरव महाराज का भजन नंबर 123
P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। गुरु महाराज का भजन नंबर 123 का पद्यार्थ।
गुरु महाराज के भजन नंबर 123 का शब्दार्थ पद्यार्थ।

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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 123 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि अत्यंत बहुमूल्य कीमती समय का सदुपयोग कैसे करें? इसका सही सदुपयोग क्या है? जिससे इसी मनुष्य-जन्म में ही परमलाभ मिल सके। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।




महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
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P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। P123, How to use time properly? "समय गया फिरता नहींं,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।। Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/04/2020 Rating: 5

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