P124, What is the good use of human body? "यहि मानुष देह समैया में,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।।
महर्षि मेंहीं पदावली / 124
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 124वां पद्य "यहि मानुष देह समैया में,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज, पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "यहि मानुष देह समैया में,..." में बताया गया है कि- मनुष्य जीवन का सदुपयोग क्या है? मनुष्य शरीर से ही जो काम हो सकता है, वह काम क्या है? इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-ना-कुछ जानकारी मिलेगी- भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन,यहि मानुष देह समैया में, मनुष्य जीवन का सदुपयोग, जीवन का महत्व पर निबंध,मेरे जीवन का महत्व,जीवन का महत्व बताइए,जीवन में क्या महत्व है,मनुष्य के जीवन का महत्व, मानव जीवन क्यों मिला है,जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य क्या है,मनुष्य के जीवन का लक्ष्य क्या है,मानव जीवन का लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति, मानव जीवन में मृदा का क्या महत्व है, जीवन का अर्थ है समय स्पष्ट करें,जीवन का अस्तित्व क्या है।
इस पद्य के पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए
मनुष्य शरीर की उपयोगिता पर चर्चा करते गुरुदेव। |
What is the good use of human body?
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे लोगों ! इसी मनुष्य-शरीर के जीवन काल में परमात्मा से प्रेम करो। प्रेम किए जाने पर वे परमात्मा तुम्हारे अशुभ-शुभ कर्मों को जलाकर (फल-रहि करके) संसार-सागर से तुम्हारा उद्धार कर देंगे।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन नंबर 124 और शब्दार्थ। |
पदावली भजन नंबर 124 का भावार्थ और टिप्पणी। |
पूज्यपाद संतसेवीजी महाराज द्वारा किया गया टीका-
मनुष्य शरीर की उपयोगिता पर भजन |
मनुष्य शरीर का सर्वोत्तम उपयोग क्या है? |
पूज्यपाद श्रीधर दासजी महाराज द्वारा किया गया टीका-
संतो की दृष्टि में मनुष्य शरीर का उपयोग |
इस भजन के बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 124 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि मनुष्य जीवन का सदुपयोग क्या है? मनुष्य शरीर से ही जो काम हो सकता है, वह काम क्या है? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P124, What is the good use of human body? "यहि मानुष देह समैया में,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
3/05/2020
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