महर्षि मेंहीं पदावली / 135
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 135वां पद्य "जीवो! परम पिता निज चीन्हों,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज, पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "जीवो! परम पिता निज चीन्हों,..." में बताया गया है कि- सभी लोग परमपिता परमेश्वर को नहीं जानने के कारण ही हर तरह से दुखी हो रहे हैं। परमपिता की जानकारी कैसे होगी?: इस पर भी चर्चा किया गया है। इत्यादि बातों की चर्चा के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-ना-कुछ जानकारी मिलेगी- भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन, जीवो ! परम पिता निज चीन्हों, परम पिता कौन है,पारब्रह्म परमेश्वर कौन है,परमपिता परमेश्वर कौन है,सच्चा परमेश्वर कौन है,सच्चा ईश्वर कौन है,परम पिता परमेश्वर की प्रार्थना,सच्चा भगवान कौन है,सच्चा ईश्वर कौन और कहा है उसका नाम और पता क्या है,परब्रह्म परमेश्वर कौन है,सत्य परमेश्वर कौन है,प्रभु कौन है,परमेश्वर कौन है, परमेश्वर क्या है, हम कैसे परमेश्वर को जाने।
इस भजन के पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
परम पिता कौन है? पर चर्चा करते समय गुरुदेव। |
Who is the supreme father?
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "सबकी भलाई करने या चाहनेवाले संत लोग पुकार-पुकारकर कह रहे हैं कि ऐ जीवों ! तुम अपने परमपिता परमात्मा की पहचान करो।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पूज्यपाद लाल दास जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
पदावली भजन नंबर 135 और शब्दार्थ, भावार्थ। |
पदावली भजन नंबर 135 का भावार्थ और टिप्पणी। |
पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
परम पिता की खोज पर भजन। |
परमपिता की जानकारी और प्राप्ति। |
पूज्यपाद श्रीधर दासजी महाराज द्वारा किया गया टीका-
परमपिता कहां मिलेंगे? |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 135 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आप ने जाना कि- सभी लोग परमपिता परमेश्वर को नहीं जानने के कारण ही हर तरह से दुखी हो रहे हैं। परमपिता की जानकारी कैसे होगी? आदि इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P135, Who is the supreme father? "जीवो! परम पिता निज चीन्हों,..."।। महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
3/09/2020
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