'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
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नानक वाणी 41 गुरु की मूरति मन महि भजन भावार्थ सहित || ध्यान में सफलता का असली राज क्या है
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी हेतु सत्संग योग एवं अन्य ग्रंथों में भी संतवाणीयों का संग्रह किया गया है। जिसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी अन्य महापुरुषों के द्वारा किया गया हैै। यहां संतवाणी-सुधा सटीक से संत सद्गरु बाबा श्री गुरु नानक साहब जी महाराज की वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी बारे मेंं जानकारी दी जाएगी। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने लिखा है। इन बातों को जानने के पहले, आइए ! सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज का दर्शन करें-
इस भजन के पहले वाले भजन ''नानक सतिगुरु भेटियै ,....''को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
ध्यान में सफलता कैसे मिलती है? How to succeed in meditation
सदगुरु बाबा नानक साहब जी महाराज इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद) में बताया गया है कि- ध्यान किनका करें? मंत्र के समान किनकी वाणी होती है? संत सद्गुरु का सम्मान किस तरह करना चाहिए? ज्ञान के अभाव में क्या होता है? सद्गुरु भक्तों को किससे छुड़ाते हैं और किस में लगाते हैं? गुरु के कृपा से क्या दिखलाई पड़ता है ? नैनाकाश का अंधकार फटने पर क्या-क्या दिखाई पड़ता है? मोह कैसे छूटता है? सद्गुरु कैसे हैं और कैसे सदा रहेंगे? संत सतगुरु की महिमा क्या है ? मुक्ति कौन दे सकता है? इन बातों की जानकारी के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे कि- सतगुरु महिमा, सतगुरु की महिमा अनंत, सतगुरु की आरती, सतगुरु वाणी, सतगुरु जी के भजन, सद्गुरु के विचार, सद्गुरु के प्रवचन, ध्यान में सफलता कैसे मिलती, जीवन में सफलता कैसे मिलती है, जीवन में सफलता के सूत्र, जीवन में कैसे आगे बढ़े, लाइफ में सफल होने के लिए एक व्यक्ति को चाहिए, कामयाब होने के लिए क्या करना चाहिए, करियर में सफलता के उपाय, सफल जीवन का रहस्य, सफल जीवन के लिए प्रेरणादायक नियम, काम में सफलता, जीवन में सफलता कैसे पाये, सफल जीवन के नियम, सफल व्यक्ति के गुण, आदि बातें। अगर आप "Who should pay attention? Whose voice is like a mantra? How should we honor Saint Sadhguru? What happens in the absence of knowledge? Whom do Sadhguru rescue the devotees from and in whom? What does the grace of the master show? What do you see when the darkness of nightlight breaks? How does love fall? How are Sadhguru and how will they last forever? What is the glory of Saint Satguru? Who can give salvation? आदि बातों को बाबा नानक वाणी में अच्छी तरह समझना चाहिते है तो पढ़ें-
॥ राग गोंड , महला ५ ॥
( शब्द ३ )
गुरु की मूरति मन महि धिआनु । गुर कै शबदि मंत्र मनु मानु ॥ गुरु के चरन रिदै लै धारउ । गुरु पारब्रह्म सदा नमसकारउ ॥१ ॥ मत को भरमि भूलै संसारि । गुर बिनु कोई न उतरसि पारि ॥१॥रहाउ ॥ भूलै कउ गुरि मारगि पाइआ । अवरि तिआगि हरि भगती लाइआ ॥ जनम मरण की त्रास मिटाई । गुर पूरे की बेअंत बड़ाई ॥ गुर प्रसादि ऊरध कमल विगास । अंधकार महि भइआ प्रगास ॥ जिनि किआ सो गुर ते जानिआ । गुर किरपा ते मुगधमनु मानिआ ॥ गुरु करता गुरु करणै जोगु । गुरु परमेसुर है भी होगु ॥ कहु नानक प्रभि इहै जनाई । बिनु गुरु मुकति न पाइऔ भाई ॥४॥५॥७ ॥
शब्दार्थ - मनु - मन । रिदै - हृदय । मत को = मत कोई । भरमि - भ्रम में , अज्ञानता में । अबरि = अवर , अपर , दूसरा । त्रास = भय । ऊरध = ऊर्ध्व , ऊपर । कमल विगास = विकसित होता है , खिलता है , खुलता है । मुगध - मुग्ध , मोह - प्राप्त , अज्ञानी , मूढ़ । होगु - होगा । प्रभि - प्रभु , परमात्मा । ( अन्य शब्दों की जानकारी के लिए "संतमत+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश" देखें )
भावार्थ - सद्गुरु के स्थूल रूप का ध्यान करो । गुरु के शब्द ( उपदेश - वाक्य ) को मंत्र के समान मन में मानो या आदर दो । गुरु के चरणों को हृदय में लेकर धारण करो अर्थात् गुरु - चरणों की हृदय में पूजा करो या ध्यान करो । परब्रह्म - स्वरूपी गुरु को सदा नमस्कार करो ॥१ ॥ संसार में अज्ञानता से कोई नहीं भूले ( भटके , मोह को प्राप्त हो ) । गुरु के बिना कोई भी संसार - सागर के पार नहीं उतर पाता॥१॥रहाउ ॥ माया में रहकर परमात्मा को भूले हुए व्यक्ति को गुरु परमात्मा का मार्ग प्राप्त कराते हैं ; अन्य पदार्थों ( मायिक पदार्थों ) की आसक्ति छुड़ाकर हरि - भक्ति के मार्ग पर लाते हैं और जन्म - मरण के भय ( दुःख ) को वे मिटा देते हैं । पूरे गुरु की अंतहीन - अपार बड़ाई है ॥२ ॥ गुरु की कृपा से ऊपर के कमल विकसित हो जाते हैं अर्थात् ऊपर के सहस्रदल कमल , त्रिकुटी , शून्य आदि मंडल खुल जाते हैं और नयनाकाश के अंधकार के स्थान पर प्रकाश जाता है । जिन्होंने साधना की है , उन्होंने साधना की युक्ति गुरु से जानी है । गुरु की कृपा से मोह - प्राप्त मन ( पिण्डी मन ) मान जाता है - स्थिर हो जाता है ॥३ ॥ गुरु अनासक्त होकर कार्य करनेवाले हैं ; गुरु सब कुछ करने के योग्य हैं - समर्थ हैं । गुरु परमेश्वर हैं और आगे भी होंगे ( रहेंगे ) । गुरु नानकदेवजी महाराज कहते हैं कि ये ही गुरु प्रभु का साक्षात्कार कराते हैं । हे भाई ! बिना गुरु के मुक्ति प्राप्त नहीं की जा सकती ॥४॥५॥७ ॥ ∆
आगे है-
॥ राग रामकली , महला ५ ॥ शब्द ४ )
पंच शबद तह पूरन नाद । अनहद बाजे अचरज बिसमाद ॥ केल करहि संत हरि लोग । पार ब्रह्म पूरन निरजोग ॥ सूख सहज आनंद भवन । साध संगि बैस गुण गावह ......
इस भजन के बाद वाले भजन 'पंच शबद तह पूरन नाद'....'' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि dhyaan kinaka karen? mantr ke samaan kinakee vaanee hotee hai? sant sadguru ka sammaan kis tarah karana chaahie? gyaan ke abhaav mein kya hota hai? sadguru bhakton ko kisase chhudaate hain aur kis mein lagaate hain? guru ke krpa se kya dikhalaee padata hai ? nainaakaash ka andhakaar phatane par kya-kya dikhaee padata hai? moh kaise chhootata hai? sadguru kaise hain aur kaise sada rahenge? sant sataguru kee mahima kya hai ? mukti kaun de sakata hai?इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
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नानक वाणी 41 गुरु की मूरति मन महि भजन भावार्थ सहित || ध्यान में सफलता का असली राज क्या है
Reviewed by सत्संग ध्यान
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2/20/2021
Rating: 5
गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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