पलटू वाणी 03 पिया है प्रेम का प्याला || भजन भावार्थ सहित || संतों की मदिरा पान कैसा होता है

संत पलटू साहब की वाणी / 03

     प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" से संत श्री संत पलटू साहब की वाणी "पिया है प्रेम का प्याला..'' भजन का , भावार्थ पढेंगे। जिसे पूज्य बाबा श्री लालदास जी महाराज  ने लिखा है।

इस वाणी के पहले की पोस्ट में  "भजन आतुरी कीजिए, ... " वाणी को अर्थ सहित पढ़ने के लिए    👉 यहां दबाएं  


पलटू साहब की मदिरा पान संबंधित सटीक वाणी

पिया है प्रेम का प्याला...  संतों की मदिरा पान कैसा होता है ? 

     प्रभु प्रेमियों  ! संत पलटू साहब जब मदिरा पान किए हुए लोगों को देखें तो उनके मन में अनायास ही भाव उत्पन्न हुआ कि संत लोग कैसी मदिरा का पान कर सकते हैं, और करते हैं जो उनका नशा ईश्वर को प्राप्त करा करके ही छोड़ता है, आम लोगों के मदिरा पान का नशा और संतों के मदिरापान में बहुत अंतर है; इन्हीं सब बातों को समझाते हुए उन्होंने निम्नलिखित शब्द का उच्चारण किया जिसमें उन्होंने निम्न भावों को व्यक्त किया है-- संतों को कैसी मदिरा का पान करना चाहिए?  संतों की मदिरा की विशेषता क्या है? संतों की मदिरा में कैसी नशा होती है? अनहद ध्वनियाँ कहां सुनाई पड़ती है? उसे कैसे सुनते हैं ? अनहद ध्वनि सुनने में इस मदिरा का क्या रोल है? कौन सी यौगिक क्रिया करके  ब्रह्मांड में शैर किया जाता है? ब्रह्मांड में शैर करते हुए परमात्मा की प्राप्ति करके वह परमात्मा कैसा है? इसकी चर्चा करते हैं.  आइये आइए संत पलटू साहेब की वाणी और उसका भावार्थ का पाठ करके उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर जाने-

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पिया है प्रेम   का प्याला । हुआ मन  मस्त  मतवाला ॥ १ ॥ भया दिल होस से  भाई । बेहोसी    जगत   बिसराई ॥ २ ॥ 
बिंद  में नाद का   मेला  । उलटि के  खेल  यह खेला ॥  ३ ॥  
जोग तजि जुक्ति को पाई । जुक्ति  तजि रूप दरसाई ॥ ४ ॥ 
रूप तजि आपु को देखा । आपु   में  पवन   की रेखा ॥५ ॥ 
उसी की   गिरह  संसारा । पलटू  दास    है       न्यारा ॥६ ॥ 

     भावार्थ-   मैंने प्रभु प्रेमरूपी मदिरा का प्याला पिया है . इसीलिए मेरा मन मतवाला हो गया है ॥ १ ॥ हे भाई ! अब मेरा हृदय होश में आ गया है अर्थात् अचेतता दूर होकर अब मेरे हृदय में सचेतता आ गयी है । पान की हुई प्रभु - प्रेमरूपी मदिरा के नशे में चूर होकर मैंने बाहरी संसार की सुध खो दी है ॥ २ ॥ दशम द्वार में दिखलायी पड़नेवाले ज्योतिर्मय विन्दु पर मैं प्रतिष्ठित हुआ , तो मैंने पाया कि उसपर विविध प्रकार की असंख्य ध्वनियाँ हो रही हैं । बाहरी संसार की ओर से अपने ख्यालों को हटाकर अंतर्मुख होने पर ही मैंने ब्रह्मांडी लीलाओं के देखने - सुनने का आनंद पाया ॥३ ॥ दृष्टियोग ( विन्दु ध्यान ) पूरा करके शब्दयोग किया । शब्दयोग पूरा करने पर आत्मस्वरूप का प्रत्यक्षीकरण हुआ ॥४ ॥ आत्मस्वरूप के साक्षात्कार के बाद परमात्मा का भी साक्षात्कार हुआ । परमात्मा में वायु की तरह रूप की विहीनता है अर्थात् परमात्मा वायु की तरह रूप - रहित है ॥५ ॥ यह सारा संसार उसी परमात्मा की रचना है । संत पलटू साहब कहते हैं कि वह परमात्मा सबसे निराला है ॥६ ॥∆


संत पलटू साहब के दूसरे पोस्ट का भजन "नहीं मुख राम राम गाओगे" को अर्थ सहित पढ़ने के लिए   👉 यहां दबाएं। 


भजन संग्रह अर्थ सहित पुस्तक में उपरोक्त वाणी निम्न  चित्र की भांति प्रकाशित है-


पलटू वाणी 03   पिया है प्रेम का प्याला  ||  भजन भावार्थ सहित  ||  संतों की मदिरा पान कैसा होता है


     प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "भजन संग्रह" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  मदिरा क्या है? मदिरा का पर्यायवाची शब्द, आयुर्वेद में कितने तरह की मदिरा का वर्णन है, Madirā word origin, Madira meaning in Santmat, Madira in ancient India, Madira in Hindi, रस दारू एवं कठोर दारू में अंतर बताइए wikipedia, मदिरा का मुख्य घटक है, वारुणी देवी, Madira rum,  इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।





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पलटू वाणी 03 पिया है प्रेम का प्याला || भजन भावार्थ सहित || संतों की मदिरा पान कैसा होता है पलटू वाणी 03   पिया है प्रेम का प्याला  ||  भजन भावार्थ सहित  ||  संतों की मदिरा पान कैसा होता है Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/03/2021 Rating: 5

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