गुरु नानक साहब की वाणी / 42
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ब्रह्माण्ड के पांच केंद्रीय नादों के अद्भुत कार्यों |
ब्रह्माण्ड के पांच केंद्रीय नादों के अद्भुत कार्य
शब्दार्थ -
भावार्थ - वहाँ ( ब्रह्माण्ड में ) पाँच केन्द्रीय शब्द , पूरण नाद ( अनाहत नाद ) तथा अनहद नाद आश्चर्यजनक और अनुपम रूप से बजते हैं । निःशब्द परम पद में संत और हरि ( भगवन्त और परमात्मा ) या हरिरूप संत लोग क्रीड़ा करते हैं - आनंद करते हैं । परब्रह्म परमात्मा अपने आपमें पूर्ण और एक ही एक है ॥ १ ॥
वहाँ साधु - संत केवल हरि के नाम का सुमिरन करते हैं । बिरले ही लोग उस शांतिमय स्थान को पाते हैं । वहाँ प्रेम तथा गुणगान का भोजन और आधार है । वहाँ जो आसन ( रहने या बैठने की जगह ) है , वह अचल और अनंत है ॥ २ ॥
वह न कभी डिगता है , न डोलता है और न कभी कहीं दौड़कर तेजी से चलकर जाता ही है । गुरु की कृपा से ही कोई इस महल को पाता है । इस महल में न तो भ्रम भय है और न मोह - मायाजाल ही । कृपालु प्रभु शून्य - समाधि लगने पर ( तुरीयातीत पद में ) प्राप्त होता है ॥ ३ ॥
उसका अंत नहीं है - वारापार ( सीमा , आदि - अंत ) नहीं है । आप ही वह गुप्त ( छिपा हुआ , अव्यक्त ) है और आप ही वह प्रसार ( माया , सृष्टि ) के रूप में व्यक्त ( प्रकट ) है । गुरु नानकदेवजी महाराज कहते हैं कि जिनके हृदय में हरि और हरिनाम का स्वाद ( आनंद ) है , वे अनुपम हैं ; उनके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता || ४ || ९ || २० ||
टिप्पणी-
१. अनाहत नाद पंच केन्द्रीय नादों में से एक है । इसका मंडल कैवल्य मंडल है । कैवल्य मंडल का केन्द्र स्वयं परमात्मा है । आंतरिक ध्वनियाँ छहो राग और छत्तीसो रागिनियों में निरंतर अपने आप ध्वनित होती रहती हैं , इसीलिए इन ध्वनियों को आश्चर्यजनक कहा गया है ।
२. ' पंच शब्द ह पूरन नाद । ' का अर्थ इस प्रकार भी किया जा सकता है- ' वहाँ ( ब्रह्माण्ड में ) पंच केन्द्रीय शब्द भरपूर हो रहे हैं ।∆
आगे है-
भूलिउ मनु माइआ उरझाइउ ।....
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संतवाणी-सुधा-सटीक पुस्तक में उपरोक्त वाणी निम्न चित्र की भांति प्रकाशित है-
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी-सुधा-सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई, वेदों के अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति, ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सिद्धांत, ब्रह्मांड से रोग का नाश है, हमारे ब्रह्मांड का केंद्र है, ब्रह्मांड कैसे बना, ब्रह्माण्ड का चित्र, ब्रह्मांड में कितने सूर्य हैं, ब्रह्मांड से क्या तात्पर्य है, ब्रह्मांड कितना बड़ा है, ब्रह्मांड से पहले क्या था, ब्रह्माण्ड के रहस्य, ब्रह्माण्ड की रचना किसने की, ब्रह्मांड की संरचना, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
संतवाणी-सुधा सटीक |
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