संत सूरदास की वाणी / 03
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति में संत सूरदास जी महाराज की वाणी 'ताते सेइये यदुराई'...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने लिखा है।
यह ( poems, rachna, bhajan, kavya, pad, waani ) भक्त सूरदास जी महाराज के हिंदी रचना के हैं। जिसमें इन्होंने ईश्वर भक्ति क्यों करना चाहिए? इस पर प्रकाश डाला है।साथ ही निम्नलिखित बातों पर भी कुछ न कुछ चर्चा हुआ है जैसे कि- ईश्वर भक्ति क्यों करना चाहिए ? hindi kavya rachna, surdas ke pad, surdas poems, surdas bhajan list, surdas poems with meaning, surdas ke poems small with meaning, surdas ke pad hindi mai, ईश्वर भक्ति के भजन, ishwar bhakti Geet, ishwar bhakti Bhajan, ishwar bhakti geet, भक्ति, भक्ति के गाने, भक्ति के गाना, भक्ति के भजन, भक्ति के गीत, भक्ति के गाना वीडियो, भक्ति के प्रकार, भक्ति के रसिया,भक्ति के बस में भगवान आदि बातें। इन बातों को पढ़ने के पहले आइए ! भक्त सूरदास जी महाराज और टीकाकार के संयुक्त दर्शन करें।
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ईश्वर भक्ति की आवश्यकता पर चर्चा। |
Why god worship?
भक्त सूरदास जी महाराज कहते हैं कि "भगवान श्री कृष्ण का भजन या सेवा इसलिए करना चाहिए; क्योंकि संसार का हर चीज घटता-बढ़ता रहता है। जैसे- चंद्रमा घटते-बढ़ते रहता है। नदी में पानी घटता-बढ़ता है। और भी कई तरह की उपमा दिए हैं।.Why god worship? "ताते सेइये यदुराई।..." इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का भावार्थ किया गया है; उसे पढ़ें-
॥ मूल पद्य ॥
ताते सेइये यदुराई ।
सम्पति विपति विपति सी सम्पति, देह धरे को यह सुभाई
तरुवर फूल . फल परिहरे , अपने कालहिं पाई ।
सरवर नीर भरै पुनि उमड़े , सूखे खेह उड़ाई ।।
द्वितीय चन्द्र वाढत ही वाढ़े , घटत घटत घटि जाई ।
सूरदास सम्पदा आपदा , जिनि कोऊ पतिआई ।।
भावार्थ - इसलिए भगवान यदुराई श्रीकृष्ण का भजन करो । सम्पत्ति में विपत्ति और विपत्ति से सम्पत्ति होती है , देह धरने का यही स्वभाव है । वृक्ष फूलता है , फलता है और काल पाकर फूल - फल को , त्याग देता है । तालाव में पानी भर जाता है , उमड़ जाता है और सूखकर उसमें मे गर्दा उड़ने लगता है । द्वितीया का चन्द्रमा बढ़ते - बढ़ते पूर्णिमा तक पूर्ण रूप से बढ़ जाता है और घटते - घटते अमावास्या में बिल्कुल घट जाता है । श्रीसूरदास जी कहते हैं कि धन , ऐश्वर्य और दुःख - दारिद्रय का कोई विश्वास न करें । ये सदा एक तरह नहीं रहते हैं । इति।
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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि संसार की प्रत्येक चीज नश्वर है, इसलिए ईश्वर भक्ति करनी चाहिए? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
संतवाणी सटीक |
भक्त-सूरदास की वाणी भावार्थ सहित
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Surdas 03, Why god worship । ताते सेइये यदुराई । भजन भावार्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/30/2020
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