Surdas 04, Master glory । गुरु बिन ऐसी कौन करें । भजन भावार्थ सहित

संत सूरदास की वाणी  / 04

प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज प्रमाणित करते हुए "संतवाणी सटीक"  भारती (हिंदी) पुस्तक में लिखते हैं कि सभी संतों का मत एक है। इसके प्रमाण स्वरूप बहुत से संतों की वाणीओं का संग्रह कर उसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया हैं। इसके अतिरिक्त भी "सत्संग योग" और अन्य पुस्तकों में संतवाणीयों का संग्रह है। जिसका टीकाकरण पूज्यपाद लालदास जी महाराज और अन्य टीकाकारों ने किया है। यहां "संतवाणी-सुधा सटीक" में प्रकाशित भक्त  सूरदास जी महाराज  की वाणी "गुरु बिन ऐसी कौन करें,... '  का शब्दार्थ और भावार्थ पढेंगे। 

इस पद में आप पाएंगे- भक्त सूरदास जी महाराज की अपने गुरु के प्रति हार्दिक अभिव्यक्ति, हृदय की उद्गार, गुरु महिमा आदि बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ उत्तर जैसे कि- सूरदास के भजन, सूरदास के भजन वीडियो में, सूरदास के भजन वीडियो, सूरदास के भजन दीजिए, सूरदास के भजन भेजो, सूरदास के भजन, तमूरा सूरदास के भजन, निर्गुण भजन भक्त सूरदास के जी,भजन कीर्तन आदि बातों के बारे में। इन बातों को पढ़ने के पहले आइए भक्तप्रवर सूरदास जी महाराज और टीकाकार के दर्शन करें।

इस भजन के  पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।

भक्त सूरदास जी महाराज गुरु महिमा भजन गाते हुए तथा टीकाकार विचार-विमर्श करते हुए।
गुरु महिमा भजन गाते हुए सूरदास जी महाराज

Master glory ऑफ सूरदास

भक्त सूरदास जी महाराज कहते हैं कि गुरु महाराज ही संसार में ऐसा करते हैं। उनके अलावा कोई ऐसा नहीं कर सकता। सतगुरु की महिमा अनंत है। उसका वर्णन कोई कैसे कर सकता है? मैं संक्षेप में गुरु के बारे में कुछ बताया हूं।..Surdas ji ke Bhajan,"गुरु बिन ऐसी कौन करें।,.." इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का  शब्दार्थ भावार्थ  किया गया है; उसे पढ़े-


 ॥ स्कन्ध ६ , राग सारंग ॥

 गुरु बिनु ऐसी कौन करै ।
 माला तिलक मनोहर बाना , लै सिर छत्र धरै ॥
 भव सागर से बूड़त राखै ,    दीपक हाथ धरै।
 सूर स्याम गुरु ऐसो समरथ , छिन में लै उधरै ॥

 शब्दार्थ - बाना वेश । छत्र - छाता , छतरी , राजाओं का चाँदी या सोने का छाता जो एक राजचिह्न है । बूड़त - डूबने से । राखै - रक्षा करते हैं , बचाते हैं । दीपक - ज्ञान का दीपक । सूर स्याम - सूरदासजी का एक अन्य नाम । छिन - क्षण । लै - लेकर , अपनाकर । उधरै उद्धार कर देता है ।

 भावार्थ - गुरु के बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है अर्थात् कोई नहीं । गुरु शिष्य को माला - तिलक से युक्त सुन्दर वेश धारण कराते हैं अर्थात् शिष्य को उत्तम भक्त बनाकर दर्शनीय - पूजनीय बना देते हैं और उसके सिर पर छत्र रख देते हैं अर्थात् उसे सर्वश्रेष्ठ बना देते हैं ।। वे शिष्य को संसार - सागर में डूबने से बचाते हैं और उसके हाथ में दीपक रखते हैं अर्थात् उसके मार्ग दर्शन के लिए उसको ज्ञान देते हैं । संत सूरदासजी कहते हैं कि गुरु इतने समर्थ हैं कि वे शिष्य को अपनाकर क्षण भर में उसका उद्धार कर दे सकते हैं । इति।

इस भजन के  बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।


प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि मनुष्यको गुरु जो चाहे बना सकते हैं। गुरु सर्व समर्थ होते हैं इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।




संतवाणी सुधा सटीक, सत्संग योग में संकलित संतवाणी यों की टीका पुस्तक।
संतवाणी-सुधा सटीक
भक्त-सूरदास की वाणी भावार्थ सहित

अगर आप  संत सूरदास जी महाराज  के अन्य पद्यों के अर्थों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो  यहां दबाएं। 

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए  शर्तों के बारे में जानने के लिए   यहां दवाएं


Surdas 04, Master glory । गुरु बिन ऐसी कौन करें । भजन भावार्थ सहित Surdas 04, Master glory । गुरु बिन ऐसी कौन करें । भजन भावार्थ सहित Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/30/2020 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया सत्संग ध्यान से संबंधित किसी विषय पर जानकारी या अन्य सहायता के लिए टिप्पणी करें।

Blogger द्वारा संचालित.