महर्षि मेंहीं पदावली / 25
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 25 वें पद्य "हे ! प्रेमरूपी सतगुरु....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस God bhajan में गुरु कैसा होना चाहिए? गुरु क्या-क्या कर सकते हैं? गुरु कौन हो सकते हैं? सतगुरु कौन है? असली गुरु कौन है? पूर्ण गुरु कौन है? सद्गुरु कौन है? गुरु की आवश्यकता क्या है? इत्यादि के बारे में बताया गया है।
इस God bhajan में गुरु कैसा होना चाहिए? गुरु क्या-क्या कर सकते हैं? गुरु कौन हो सकते हैं? सतगुरु कौन है? असली गुरु कौन है? पूर्ण गुरु कौन है? सद्गुरु कौन है? गुरु की आवश्यकता क्या है? इत्यादि के बारे में बताया गया है।
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God love love life "हे ! प्रेमरूपी सतगुरु...
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- हे प्रेम की मूर्ति सद्गुरु ! आप मुझे अपना प्रेमी (भक्त) बना लीजिए।.God love love life "हे ! प्रेमरूपी सतगुरु,.... इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस पद का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है । उसे पढ़ें-पदावली पद 25, शब्दार्थ। |
पदावली पद्य 25, भावार्थ टिप्पणी। |
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महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P25, God love love life "हे ! प्रेमरूपी सतगुरु,..'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/05/2019
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