महर्षि मेंहीं पदावली / 71
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" हम संतमतानुयाईयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के पद्य संख्या 71वें भजन- "ऐन महल पट बंद कै।...'' पद्य का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "ऐन महल पट बंद कै।..." में बताया गया है कि- राजयोग के माध्यम से सुषुम्ना नाड़ी को कैसे जगाएं? संतवाणी,भक्त ध्रुव,ध्रुव की कहानी, ध्रुव कथा,विष्णु पुराण भक्त ध्रुव की कथा, ध्रुव की तपस्या,सुषुम्ना के कार्य, सुषुम्ना नाड़ी एक्टिवेशन, सुषुम्ना के दो कार्य,सुषुम्ना चलने का प्रभाव, सुषुम्ना जागरण, सुषुम्ना रहस्य,सुषुम्ना स्वर, सुषुम्ना नाड़ी जाग्रत, आदि बातें।
राजयोग से सुषुम्ना नाड़ी को जागृत करते गुरुदेव |
The Nadis in Yoga - Sushumna?
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "नयन-रूपी भवन की पलकरूपी किवाड़ी को बंद करके सुखमन-घाट, सुषुम्नानाड़ी (आज्ञाचक्रकेंद्रबिंदु) में अवस्थित होओ।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ेंं
पदावली भजन 71 और शब्दार्थ। सुषुम्ना जागरण। |
पदावली भजन 71 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी। सुषुम्ना ध्यान। |
पदावली भजन 71 का शब्दार्थ भावार्थ टिप्पणी समाप्त। |
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महत्वपूर्ण नोट-
* what is nadi vigyan.नाडी क्या है? शरीर के अन्दर विविध पदार्थो एवं संवेदनाओं सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान को लाने एवं ले जानेवाला नशों को नाड़ी कहते हैं। शास्त्रों में 72,000 नाड़ियों का वर्णन किया गया है। इनमें भी तीन का उल्लेख बार-बार मिलता है - ईड़ा, पिंगला और सुषुम्ना । ये तीनों मेरुदण्ड से जुड़े हैं। तीन मुख्य नाड़ियों- बाईं, दाहिनी और मध्य की ओर है ।
* इंगला, पिंगला, सुषुम्ना, गांधारी, हस्तजिह्वा, कुहू, सरस्वती, पूषा, शंखिनी, पयस्विनी, वारुणी, अलम्बुषा, विश्वोदरी और यशस्विनी, इन चौदह नाड़ियों में इंगला, पिगला और सुषुम्ना तीन प्रधान हैं. इनमें भी सुषुम्ना सबसे मुख्य है। सुषुम्ना नाड़ी जिससे श्वास, प्राणायाम और ध्यान विधियों से ही प्रवाहित होती है।सुषुम्ना नाड़ी से श्वास प्रवाहित होने की अवस्था को ही 'योग' कहा जाता है। योग के सन्दर्भ में नाड़ी वह रास्ता है जिसके द्वारा शरीर की ऊर्जा का परिवहन होता है।
* सुषुम्ना नाड़ी मूलाधार (Basal plexus) से आरंभ होकर यह सिर के सर्वोच्च स्थान पर अवस्थित सहस्रार तक आती है। सभी चक्र सुषुम्ना में ही विद्यमान हैं।
*अधिकतर लोग इड़ा और पिंगला में जीते और मरते हैं और मध्य स्थान सुषुम्ना निष्क्रिय बना रहता है। परन्तु सुषुम्ना मानव शरीर-विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। जब ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करती है, असल में तभी से यौगिक जीवन शुरू होता है।
* यहां राजयोग, ध्यान योग या गीता में बताएं ध्यान के माध्यम से सुषुम्ना नाड़ी को कैसे जगाएं? इस पर चर्चा किया गया है।
* मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 71 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आप ने जाना कि The Nadis in Yoga - Ida, Pingala and Sushumna, Sushumna Nadi , what is nadi vigyan, Sushumna Nadi Awakening इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P71, The Nadis in Yoga - Sushumna? "ऐन महल पट बंद कै।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/07/2020
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