महर्षि मेंहीं पदावली / 70
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" हम संतमतानुयाईयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के पद्य संख्या 70वें भजन- "भाई योगहृदयवृत्तकेंद्रबिंदु।...'' पद्य का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat God इस God भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "भाई योगहृदयवृत्तकेंद्रबिंदु।..." में बताया गया है कि- योगाभ्यास में योगहृदय क्या है?योग शिक्षा का अर्थ,योग शिक्षा का उद्देश्य, योग का इतिहास,भारत में योग का आरंभ, योग का महत्व,योग का प्रमुख उद्देश्य क्या है,योग के उद्देश्य,योग की परिभाषा आदि बातें।
योग हृदय पर चर्चा करते गुरुदेव। |
Gate of god Yogic heart
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "हे भाइयों ! योगहृदयवृत (आज्ञाचक्र) का जो केंद्रबिंदु है, वह दृष्टियोग की साधना में उजले प्रकाश से युक्त होकर चमकता हुआ दिखाई देता है।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 70 और शब्दार्थ। योग्यता क्या है? |
पदावली भजन 70 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी समाप्त। |
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आवश्यक नोट-
* योग अपनी साँसों पर ध्यान देते हुए विभिन्न मुद्राओं में रहने की कला है| परिणामस्वरूप प्रत्येक योगासन का हमारे स्वसन तन्त्र पर विशेष प्रभाव पड़ता है, जिससे हमारा हृदय भी प्रभावित होता है।
* अगर आप रोजाना योग करें, तो यह हृदय संबंधित बीमारियों के जोखिम को कम करने में सहायक होगा। विश्व भर में हृदय रोग से पीड़ित लोग अपने बचाव के लिए सब कुछ करने के बाद भी जीवन बचाने में असमर्थ रहते हैं। योग के दैनिक जीवन में प्रयोग से हृदय रोग से बचना संभव है।
* यहां योग हृदय का अर्थ है हृदय रोग नाशक योग नहीं, बल्कि ईश्वर तक जाने वाला रास्ता का प्रथम द्वार से है।
* मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
* ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 68 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आप ने जाना कि यहां योग हृदय का अर्थ है हृदय रोग नाशक योग नहीं, बल्कि ईश्वर तक जाने वाला रास्ता का प्रथम द्वार से है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P70, Gate of god Yogic heart "भाई योगहृदयवृत्तकेंद्रबिंदु।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/06/2020
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