'सद्गुरु महर्षि मेंहीं, कबीर-नानक, सूर-तुलसी, शंकर-रामानंद, गो. तुलसीदास-रैदास, मीराबाई, धन्ना भगत, पलटू साहब, दरिया साहब,गरीब दास, सुंदर दास, मलुक दास,संत राधास्वामी, बाबा कीनाराम, समर्थ स्वामी रामदास, संत साह फकीर, गुरु तेग बहादुर,संत बखना, स्वामी हरिदास, स्वामी निर्भयानंद, सेवकदास, जगजीवन साहब,दादू दयाल, महायोगी गोरक्षनाथ इत्यादि संत-महात्माओं के द्वारा किया गया प्रवचन, पद्य, लेख इत्यादि द्वारा सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार, आध्यात्मिक विचार इत्यादि बिषयों पर विस्तृत चर्चा का ब्लॉग'
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P118, How to practice meditation "सूरत सम्हारो अधर चढ़ाओ,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 118वांपद्य "सूरत सम्हारो अधर चढ़ाओ,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज, पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज औरपूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "सूरत सम्हारो अधर चढ़ाओ,..." में बताया गया है कि- ईश्वर, परमात्मा या गॉड का भजन या ध्यान कैसे किया जा सकता है? इसकी प्रमाणिक विधि क्या है? इत्यादि बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन, सूरत सम्हारो अधर चढ़ाओ, ध्यान अभ्यास कैसे करें,ध्यान कैसे करना है,मेडिटेशन कब करना चाहिए,ध्यान आसन क्या है,मैडिटेशन का मतलब क्या होता है,भगवान का ध्यान कैसे करें,ध्यान केंद्रित कैसे करें,ध्यान साधना कैसे करे,परमात्मा का ध्यान कैसे करें,ध्यान कैसे करें महर्षि मेंहीं,ध्यान साधना विधि,ध्यान केंद्रित करना,मेडिटेशन कैसे करें।
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "शरीर और इंद्रिय-घाटों में बिखरी हुई चेतन-धारों को दृष्टियोग-अभ्यास के द्वारा आज्ञाचक्रकेंद्रबिंदु में समेटकर ब्रह्मांड में चढ़ाओ और झिलमिलाती हुई ज्योति को देखो।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 118 और शब्दार्थ, भावार्थ व टिप्पणी।
ध्यान अभ्यास का शुरुआत कैसे करें?
ध्यान अभ्यास का शुरुआत का शेष।
पदावली भजन 118 और पद्यार्थ।
इस भजन के बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 118 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना किईश्वर, परमात्मा या गॉड का भजन या ध्यान कैसे किया जा सकता है? इसकी प्रमाणिक विधि क्या है?इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग कासदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
गुरु महाराज की शिष्यता-ग्रहण 14-01-1987 ई. और 2013 ई. से सत्संग ध्यान के प्रचार-प्रसार में विशेष रूचि रखते हुए "सतगुरु सत्संग मंदिर" मायागंज कालीघाट, भागलपुर-812003, (बिहार) भारत में निवास एवं मोक्ष पर्यंत ध्यानाभ्यास में सम्मिलित होते हुए "सत्संग ध्यान स्टोर" का संचालन और सत्संग ध्यान यूट्यूब चैनल, सत्संग ध्यान डॉट कॉम वेबसाइट से संतवाणी एवं अन्य गुरुवाणी का ऑनलाइन प्रचार प्रसार।
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