P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..' महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित

महर्षि मेंहीं पदावली /133

प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 133वां पद्य  "अद्भुत अंतर की डगरिया,....''  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के  बारे में। जिसे  पूज्यपाद लालदास जी महाराज,  पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और  पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।

इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "अद्भुत अंतर की डगरिया,..." में बताया गया है कि- हमलोग भगवान ( ईश्वर,गौड, भगवान शिव,नरसिंह भगवान, कृष्ण भगवान, सूर्य भगवान आदि अन्य कई तरह के देवी-देवताओं की ) की पूजा करते हैं।उनके मंदिरों में जाते हैं और दर्शन करते हैं, लेकिन यहां गुरु महाराज इन पूजा-पाठ से अलग अंतर मार्ग से ईश्वर भक्ति करने के बारे में बता रहे हैं।

इस पद्य के  पहले वाले पद्य को पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।

ईश्वर भक्ति के आंतरिक मार्ग की चर्चा।P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..'  महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित
ईश्वर भक्ति के आंतरिक मार्ग की चर्चा।

How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया

प्रभु प्रेमियों ! संत कबीर साहब, गुरु नानक साहब एवं अन्य संतों ने जो ईश्वर भक्ति का मार्ग बताया है। उसी मार्ग का वर्णन करते हुए, इस पद्य में बताया गया है कि ईश्वर भक्ति करने का रास्ता क्या है ?  इस पद के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी को पढ़ने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि ईश्वर भक्ति कैसे करना चाहिए और यह युक्ति बिना गुरु की कृपा के नहीं मिल सकता। आइए इस पद्य के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी को पढ़कर ईश्वर भक्ति की सही युक्ति जानें-

पूज्यपाद लाल दास जी महाराज द्वारा किया गया टीका-
पदावली भजन नंबर 133 और शब्दार्थ भावार्थ।P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..'  महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित
पदावली भजन नंबर 133 और शब्दार्थ भावार्थ।

P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..'  महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 133 का टिप्पणी।
पदावली भजन नंबर 133 का टिप्पणी।

पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज द्वारा किया गया टीका-

P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..'  महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित। आश्चर्यजनक ईश्वर भक्ति का आंतरिक मार्ग।
आश्चर्यजनक ईश्वर भक्ति का आंतरिक मार्ग।

पूज्यपाद श्रीधर दासजी महाराज द्वारा किया गया टीका-


P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..'  महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित। ईश्वर भक्ति का अद्भुत मार्ग।
ईश्वर भक्ति का अद्भुत मार्ग।

इस भजन के  बाद वाले पद्य को पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।

प्रभु प्रेमियों  ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 133 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आप ने जाना कि ईश्वर भक्ति करने के लिए अपने अंदर में साधना करनी पड़ती है जो अद्भुत और अनोखा है। इस रास्ते पर चलने से अनुपम सुख की प्राप्ति होती है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।



महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. 
अगर आप 'महर्षि मेँहीँ पदावली' पुस्तक के अन्य पद्यों के अर्थों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से समझना चाहते हैं तो 

सत्संग ध्यान संतवाणी ब्लॉग की अन्य संतवाणीयों के अर्थ सहित उपलब्धता के बारे में अधिक जानकारी के लिए 👉यहाँ दवाएँ.

सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए  शर्तों के बारे में जानने के लिए   👉  यहां दवाए
---×---
P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..' महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित P133, How to worship God? 'अद्भुत अंतर की डगरिया,..'  महर्षि मेंहीं भजन अर्थ सहित Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/08/2019 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया सत्संग ध्यान से संबंधित किसी विषय पर जानकारी या अन्य सहायता के लिए टिप्पणी करें।

Blogger द्वारा संचालित.