P132, How to be successful in Meditation, "जौं निज घट रस चाहो,...'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
महर्षि मेंहीं पदावली /132
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 132वां पद्य "जौं निज घट रस चाहो,....'' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज, पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज और पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat Warning भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "प्रभु मिलने जो पथ धरि जाते,..." में बताया गया है कि- आत्मिक सुख या ईश्वर-भक्ति का सुख या साधना में तरक्की करना चाहते हो, तो परहेज के रूप में झूठ, चोरी, नशा, हिंसा और व्यभिचार को त्यागना पड़ेग।
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सफल ध्यानाभासी होने का उपाय पर चर्चा |
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं-कि अगर आप अपने शरीर के अंदर संतुष्टिदायक, स्थाई और सच्चा आनंद प्राप्त करना चाहते हैं, तो सावधान रहकर सतत अपने को पंच पापों से पूरी तरह (मन, वचन, शरीर और कर्म से) बचाते रहो। क्योंकि इसके बिना ध्यान अभ्यास में सफलता पाना मुश्किल ही नहीं, असंभव है।... इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस पद का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है । उसे पढ़े-
पदावली भजन नंबर 132 और शब्दार्थ भावार्थ। |
पदावली भजन नंबर 132 का भावार्थ और टिप्पणी। |
पूज्यपाद संतसेवीजी महाराज द्वारा किया गया टीका-
ध्यान अभ्यास में सफल होने का राज। |
मेडिटेशन मैं सफल होने का रहस्य। |
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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 132 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि (How to be successful in Meditation) ईश्वर-भक्ति में सफलता के लिए क्या-क्या परहेज हैं और इसमें कैसे सफलता मिलेगी। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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P132, How to be successful in Meditation, "जौं निज घट रस चाहो,...'' महर्षि मेंहीं पदावली भजन अर्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/19/2019
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