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P115, Importance of yoga in human life "योग हृदय में बास ना,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।

महर्षि मेंहीं पदावली / 115

प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 115वां पद्य  "योग हृदय में बास ना,....''  का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के  बारे में। जिसे पूज्यपाद श्रीधर दास जी महाराज और पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज  नेे किया है।

इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "योग हृदय में बास ना,..." में बताया गया है कि- मनुष्यों के लिए योग की जानकारी परमावश्यक है । तमाम आवश्यक जरूरतों के रहते योग के बिना मानव जीवन अधूरा है। इत्यादि बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नें भी विचारनीय हैं- भजन अर्थ सहित, कुप्पाघाट का भजन, योग हृदय में बास ना,योग का महत्व,शिक्षा में योग का महत्व,जीवन में योग का महत्व निबंध,आधुनिक युग में योग का महत्व,योग का महत्व पर कविता,आधुनिक जीवन शैली में योग का महत्व,योग का उद्देश्य,योग का महत्व निबंध हिंदी,योग का मानव जीवन में क्या महत्व है,योग का मानव जीवन में महत्व,जीवन में योग का महत्व,योग का महत्व और लाभ,importance of yog।

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P115, Importance of yoga in human life "योग हृदय में बास ना,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। मनुष्य जीवन में योग की आवश्यकता पर चर्चा करते संत
मनुष्य जीवन में योग की आवश्यकता पर चर्चा करते संत



Importance of yoga in human life

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी  कहते हैं- "यदि कोई सिमटकर (योग द्वारा) आज्ञाचक्रकेंद्रबिंदु आथवा ब्रह्मांड में निवास नहीं करे, केवल पिंड में ही फैलकर रहे, तो मनुष्य शरीर पाने का क्या विशेष लाभ अर्थात कुछ भी नहीं।...." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-

P115, Importance of yoga in human life "योग हृदय में बास ना,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 115 और शब्दार्थ पद्यार्थ।
पदावली भजन नंबर 115 और शब्दार्थ, पद्यार्थ।

P115, Importance of yoga in human life "योग हृदय में बास ना,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 115 का शेष पद्यार्थ।
पदावली भजन नंबर 115 का शेष पद्यार्थ।
 पूज्यपाद श्रीधरदास जी महाराज द्वारा किया गया टीका-


P115, Importance of yoga in human life "योग हृदय में बास ना,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। पदावली भजन नंबर 115 का शब्दार्थ, पद्यार्थ।
पदावली भजन नंबर 115 का शब्दार्थ पद्यार्थ।

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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" के भजन नं. 115 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के द्वारा आपने जाना कि मनुष्यों के लिए योग की जानकारी परमावश्यक है । तमाम आवश्यक जरूरतों के रहते योग के बिना मानव जीवन अधूरा है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।





महर्षि मेंहीं पदावली, शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित।
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P115, Importance of yoga in human life "योग हृदय में बास ना,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। P115, Importance of yoga in human life "योग हृदय में बास ना,..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित। Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/01/2020 Rating: 5

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