संत धरनीदास की वाणी / 03
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति के संत धरनी दास जी महाराज की बाणी- 'धरनी ध्यान तहां धरो'...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज ने लिखा है। इसमें निम्न प्रश्नों के उत्तर दिया गया है कि "Meditation and Dhyan kaise kare? Dhyan ke fayde? Meditation in hindi? Dhyan kya hai? Dhyan ki paribhasha kya hai? Etc.
बाबा धरनीदास जी महाराज और टीकाकार |
Where to focus? "धरनी ध्यान तहां धरो
संत धरनी दास जी महाराज कहते हैं कि "अंतर्मुख होकर और अपनी दृष्टि को वहां स्थित करके ध्यान करो, जहां स्वाभाविक रूप से प्रकाश की वर्षा होती है। जहां दोनों दृष्टि धारों को जोड़ने पर अंधकाररूपी किवाड़ टूट जाता है, वहां ध्यान करो।.Where to focus? "धरनी ध्यान तहां धरो,...." इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ने के लिए निम्न चित्र में पढ़ें-
बाबा धरनी दास जी महाराज के शब्द अर्थ सहित |
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि meditation ya dhyan kaise kare, dhyan ke fayded,dhyan kya hai? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
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धरनी दास 03, Where to focus? "धरनी ध्यान तहां धरो,..." भजन टीकाकार- पूज्य लालदास जी
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/26/2019
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जय गुरु महाराज बाबा श्रीधरनी दास जी महाराज के पानी के प्रति आपका प्रेम देखकर हमें काफी प्रसन्नता हुई हम आगे भी इस तरह का सेवा करते रहेंगे अगर आपके पास भी कोई बानी उपलब्ध है तो वह हमें उपलब्ध कराएं मैं थोड़ा विलंब से आपका टिप्पणी पड़ा इसलिए विलंब से उत्तर दे पा रहा हूं
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