P60, Complete knowledge of Vindu meditation? "अध: ऊर्ध्व अरु दांएं बांएं।..." महर्षि मेंहीं पदावली अर्थ सहित।
महर्षि मेंहीं पदावली / 60
प्रभु प्रेमियों ! संतवाणी अर्थ सहित में आज हम लोग जानेंगे- संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "महर्षि मेंहीं पदावली" जो हम संतमतानुयाइयों के लिए गुरु-गीता के समान अनमोल कृति है। इस कृति के 60वां पद्य "अध: ऊर्ध्व अरु दांएं बांएं।...' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी के बारे में। जिसे पूज्यपाद लालदास जी महाराज नेे किया है।
इस Santmat meditations भजन (कविता, पद्य, वाणी, छंद) "अध: ऊर्ध्व अरु दांएं बांएं।..." में बताया गया है कि- ध्यान करने के नियम, ध्यान कैसे करें?ध्यानाभ्यास कैसे करते है,ध्यान साधना कैसे करे,भगवान का ध्यान कैसे करें,परमात्मा का ध्यान कैसे करें,ध्यान कैसे करें महर्षि मेंही,ध्यान साधना विधि,ध्यान से चमत्कार,ध्यान क्रिया,ध्यान योग साधना,मेडिटेशन ध्यान,ध्यान क्या है,ध्यान का समय,ध्यान से लाभ, आदि बातें।
इस पद्य के पहले वाले भाग को पढ़ने के लिए
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संपूर्ण बिंदु ध्यान पर चर्चा करते गुरुदेव।
Complete knowledge of Vindu meditation?
ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. बिंदु पर एकाग्र करना और उसमे लीन हो जाना ध्यान है। जापानी का झेन और चीन का च्यान यह दोनों ही शब्द ध्यान के अप्रभंश है। अंग्रेजी में इसे मेडिटेशन कहते हैं। ध्यान शारीरिक स्तर, मानसिक स्तर, आध्यात्मिक स्तर और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदे मंद है। शुरुआती दौर में ध्यान करने के सरल उपाय। मेडिटेशन का उद्देश्य वास्तव मे कोई लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, परंतु फिर भी इसकी सहायता से इंसान अपने उद्देश्य पर अपना ध्यान केन्द्रित करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।
ध्यान अभ्यास शुरू करने के पहले किसी सच्चे गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है। नहीं तो इसमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं?
अध: ऊर्ध्व अरु दांएं बांएं।..." महर्षि मेंहीं
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जी कहते हैं- "नीचे की दिशा, ऊपर की दिशा, दायीं ओर, बायीं ओर और सिर के पीछे की दिशा-- इन 5 दिशाओं को छोड़कर छठी ओर अर्थात आगे की ओर (सामने) बंद दोनों आंखों के ठीक मध्य अंधकार में दोनों दृष्टि धारों को जोड़कर एक ज्योतिर्मय बिंदु उदित करो।....." इस विषय में पूरी जानकारी के लिए इस भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-
पदावली भजन 60 और शब्दार्थ। बिंदु ध्यान।
पदावली भजन 60 का भावार्थ और टिप्पणी। ध्यान पर विशेष।
पदावली भजन 60 का टिप्पणी । उपनिषदों में नाद चर्चा।
पदावली भजन 60 का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी समाप्त।
प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेंहीं पदावली शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित" नामक पुस्तक से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि ध्यान कैसे करें?ध्यानाभ्यास कैसे करते है,ध्यान साधना कैसे करे,meditation original, meditation meaning in hindi, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।
महर्षि मेँहीँ पदावली..
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अध: ऊर्ध्व अरु दांएं बांएं।..." महर्षि मेंहीं
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महर्षि मेँहीँ पदावली.. |
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Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/03/2020
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