धर्मदास वाणी 01, With the meaning of Saint Hymn "साहेब चितवो हमरी ओर।..." व्याख्याकार- पूज्यपाद लालदास जी
धनि धर्मदास साहब की वाणी / 01
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति में संत Dhani Dhammdas जी महाराज की वाणी ''साहेब चितवो हमरी ओर।,.।..'' का भावार्थ किया गया है। जिसे पूज्यपाद पूज्य पाद लाल दास जी महाराज ने लिखा है।इसमें धनी धर्मदास जी महाराज ईश्वरीय ज्ञान के सम्बन्ध में अपने सदगुरु कबीर साहेब जी महाराज से मुखरित हो विनम्र प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे सद्गुरु स्वामी ! आप मेरी ओर दया की दृष्टि से देखिए मैं आपकी ओर व्याकुल दृष्टि से देख रहा हूं। ... इस प्रकार प्रार्थना करतेे हुए एक निष्ठ भक्ति को दर्शाया गया है।
इसके साथ ही इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन,भजन कीर्तन, पद्य, वाणी, छंद) में बताया गया है कि- शिष्य के लिए गुरु की दया कितना आवश्यक है? दुखी अवस्था में शिष्य गुरु को क्या क्या कह सकता है? एक निष्ठा गुरु भक्त अपना दुख कैसे व्यक्त करता है? भजन करने का युक्ति युक्त तरीका क्या है? भजन में तरक्की के लिए गुरु की दया कितना आवश्यक है? इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों पर भी कुछ-न-कुछ चर्चा मिलेगा। जैसे कि- गुरु भक्ति की कहानी, गुरु शिष्य के प्रेरक प्रसंग, शिष्य शब्द, आधुनिक गुरु शिष्य कथा, प्रार्थना लिखी हुई, प्रार्थना प्रार्थना, प्रार्थना गीत हिंदी में, प्रार्थना का अर्थ, प्रार्थना कविता का भावार्थ, नई प्रार्थना, इत्यादि बातें। इन बातों को समझने के पहले, आइए ! संत धनी धर्मदास साहब के दर्शन करें।
इस भजन के पहले सतगुरु कबीर साहिब जी महाराज के भजन को अर्थ सहित पाठ करने के लिए यहां दवाएं।
With the meaning of Saint Hymn "साहेब चितवो हमरी ओर।...
संत धनी धर्मदास जी महाराज कहते हैं कि "हे सदगुरु स्वामी ! आप मेरी ओर दया की दृष्टि से देखिए मैं आपकी ओर व्याकुल दृष्टि से देख रहा हूं। यदि आप मेरी ओर नहीं देखेंगे, तो मैं समझूंगा कि आपका हृदय कठोर है।.With the meaning of Saint Hymn "साहेब चितवो हमरी ओर।......." इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-
।। मूल पद ।।
साहेब चितवो हमरी ओर । हम चित तुम चितवो नाहीं , तुम्हरो हृदय कठोर ॥१ ॥ औरन को तो और भरोसो , हमैं भरोसो तोर ॥२ ॥ सुखमनि सेज बिछाओं गगन में , नित उठि करौं निहोर ॥३ ॥ धरमदास बिन कर जोरी , साहेब कबीर बन्दीछोर ॥४ ॥
शब्दार्थ - साहेब ( अ ० साहिब ) -मालिका चितवो - देखो , दृष्टि डालो । सुखमनि - सुखमन , सुषुम्न - विन्दु , आज्ञाचक्रकेन्द्रविन्दु । सेज - शय्या , विछावन , आसन । गगन - ब्रह्माण्ड , आंतरिक आकाश । निहोर - निहोरा , प्रार्थना , आराधना । बन्दीछोर - बंधनों से छुड़ानेवाले ।
भावार्थ - हे सद्गुरु स्वामी ! आप मेरी ओर दया की दृष्टि से देखिये । मैं आपकी ओर व्याकुल दृष्टि से देख रहा हूँ । यदि आप मेरी ओर नहीं देखेंगे , तो मैं समझूगा कि आपका हृदय कठोर है । ( मैं समझूगा कि आप मेरी किसी गलती के कारण मुझसे रूठकर कठोर बन हुए हैं ) ॥१ ॥ संसार के लोगों को तो दूसरे कई व्यक्तियों पर भरोसा होता है ; परन्तु मुझे तो केवल आपका ही भरोसा है ॥२ ॥ मैं आन्तरिक आकाश के आज्ञाचक्रकेन्द्रविन्दु पर अपना आसन लगाता हूँ और प्रतिदिन सावधान होकर आपकी आराधना करता हूँ ॥३ ॥ धनी धर्मदासजी कहते हैं कि हे जीवों को बंधनों से छुड़ानेवाले सद्गुरु संत कबीर साहब ! मैं हाथ जोड़कर आपसे विनती करता हूँ कि आप मुझपर दयालु होइए।॥४ ॥∆
इस पद के बाद वाले भजन को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दवाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस भजन भावार्थ का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि अपने गुरु से किस तरह प्रार्थना करनी चाहिए । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।
संतवाणी-सटीक |
Dhani Dharmdas वाणी भावार्थ सहित
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धर्मदास वाणी 01, With the meaning of Saint Hymn "साहेब चितवो हमरी ओर।..." व्याख्याकार- पूज्यपाद लालदास जी
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/01/2019
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