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गोरख वाणी 06 || भजन- अति अहार यंद्री बल करें || Food effect || भावार्थ सहित महर्षि मेंहीं

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महायोगी गोरखनाथ की वाणी / 06

    प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीकअनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतो के वाणियों को एकत्रित किया गया है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि सभी संतों के सार विचार एक ही हैं। उन सभी वाणियों का टीकाकरण किया गया है। आज महायोगी गोरखनाथ की वाणी "अति अहार यंद्री बल करें...' भजन का भावार्थ  पढेंगे। 

इस पद्य के पहले वाले पद्य "हँसिबा खेलिबा धरिबा ध्यान" को अर्थ सहित पढ़ने के लिए  यहां दबाएं


गोरख वाणी, भजन, अति अहार यंद्री बल करें, महायोगी गोरखनाथ जी महाराज और भोजन चर्चा।
महायोगी गोरखनाथ जी महाराज और भोजन चर्चा

Food effect/भजन- अति अहार यंद्री बल करें,..

     प्रभु प्रेमियों  !  महायोगी गोरखनाथ जी महाराज की इस God भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन,भजन कीर्तन, पद्य, वाणी, छंद) "अति अहार यंद्री बल करें।,..." में बताया है कि- भोजन के प्रभाव आम तौर पर सबसे अधिक होते हैं।जैसा खाये अन्न, वैसा होवे मन। मन और शरीर पर खाना खाने का क्या प्रभाव पड़ता है? इसे समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना पड़ेगा- भोजन का परिभाषा, पौष्टिक आहार, संतुलित भोजन, भोजन का नुक़सान, अन्न का मन पर प्रभाव हमारे भोजन और स्वास्थ्य पर निबंध, भोजन हमारे लिए क्यों आवश्यक है, पर्याप्त आहार क्या है? आहार के प्रमुख घटक एवं स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों  की जानकारी, भोजन के शरीर पर प्रभाव, हम भोजन क्यों करते हैं? भोजन के अवयव, समाज में स्वास्थ्य एवं पोषण की धारणा आदि बातें।

     महायोगी संत श्रीगोरखनाथ जी महाराज कहते है कि '"जो बहुत अधिक भोजन करता है , उसकी इन्द्रियाँ उत्तेजित होती हैं; उसका ज्ञान ( विवेक ) नष्ट हो जाता है ; उसका ख्याल मैथुन ( स्त्री - प्रसंग ) की ओर जाता है ; उसे निद्रा सताती है ; उसपर काल ( रोग ) चढ़ बैठता है और उसके हृदय में सदा जंजाल ( अशान्ति , विक्षोभ ) बना रहता है । ....."  इस संबंध में विशेष जानकारी के लिए इस पद्य का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है। उसे पढ़ें-

गुरु गोरखनाथजी महाराज की वाणी

 ॥ मूल पद्य ॥

अति अहार यंद्री बल करें । नासैं  ग्यांन मैथुन चित धरै ॥
व्यापै  न्यद्रा  झंपै  काल ।   ताके  हिरदै   सदा जंजाल ॥

 पद्यार्थ - जो बहुत अधिक भोजन करता है , उसकी इन्द्रियाँ उत्तेजित होती हैं ; उसका ज्ञान ( विवेक ) नष्ट हो जाता है ; उसका ख्याल मैथुन ( स्त्री - प्रसंग ) की ओर जाता है ; उसे निद्रा सताती है ; उसपर काल ( रोग ) चढ़ बैठता है और उसके हृदय में सदा जंजाल ( अशान्ति , विक्षोभ ) बना रहता है । इति।


गुरु गोरखनाथ जी महाराज के इस भजन के बाद "संतवाणी सटीक" से संत कबीर वाणी भावार्थ सहित पढ़ने के लिए    यहां दबाएं।


बिशेष - सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के प्रवचन में भोजन के संबंध में जानकारी के लिए ये वीडियो देख और निम्नलिखित प्रवचन पढ़ सकते हैं।





     प्रभु प्रेमियों !  "संतवाणी-सटीक" नामक पुस्तक  से इस भजन के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी द्वारा आपने जाना कि भोजन के प्रभाव आम तौर पर सबसे अधिक होते हैं।जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन। मन और शरीर पर खाना खाने का क्या प्रभाव पड़ता है?।, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने।  इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद्य का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नांकित वीडियो देखें।



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