संत दादूदयाल जी महाराज की वाणी / 01
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" एक अनमोल कृति है। इस कृति में बहुत से संतवाणीयों को एकत्रित करके सिद्ध किया गया है कि सभी संतों का एक ही मत है। इसी कृति केे संत दादू दयाल जी महाराज के एक पद्य 'नीके राम कहतु है बपुरा...," को शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी सहित इस पोस्ट में हमलोग जानेंगे। जिसे पूज्य पाद सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ने लिखा है।
भजन सिमरन कैसे किया जाता है ?
प्रभु प्रेमियों ! संत दादू दयाल जी महाराज के इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद) में बताया गया है कि- गरीब और बलहीन लोग क्या करते हैं? क्या करना अच्छा है? कौन-सा काम करना सबके लिए अच्छा है? भजन करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? हमारा शरीर कितने तरह का है? परमात्मा का भजन कैसे करते हैं? सिमरन कैसे किया जाता है? सिमरन से सूरत का जागरण कैसे होता है? सूरत जग जाती है तो क्या होता है? परमात्मा जीव को कैसे पकड़ लेता है? जीव को भगवान किस शब्द के द्वारा बुलाते हैं? सूक्ष्म मार्ग क्या है? इन बातों की जानकारी के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ समाधान पायेंगे। जैसे कि- भजन सिमरन कैसे किया जाता है? भजन सिमरन क्या है? भजन और सिमरन में क्या अंतर है? शब्द धुन क्या है? सिमरन कैसे करना चाहिए? भक्ति भजन कैसे करें? कृष्ण भगवान की भक्ति कैसे की जाती है? भजन कैसे बनाते हैं? ईश्वर की भक्ति कैसे करें? भजन सिमरन करने की विधि, नाम सिमरन के फायदे, दादू वाणी इन हिंदी, दादू दयाल जी महाराज के गुरु कौन थे, दादू दयाल जी के गुरु कौन थे, संत दादू दयाल के अनुसार मेरा बैरी, दयाल किस कहानी का पात्र है, दादू दयाल के दोहे का अर्थ, दादू दयाल दोहे अर्थ सहित, आदि बातें। इन बातों को अच्छी तरह जानने के लिए आइए पढ़ें -
॥ मूल पद्य ॥
नीके राम कहतु है बपुरा ।।
घर माहे घर निर्मल राखै , पंचौं धोवै काया कपरा।टेक ।। सहज समरपण सुमिरण सेवा , तिरवेणी तट संयम सपरा । सुन्दरि सन्मुख जागण लागी , तहँ मोहन मेरा मन पकरा ॥१ ॥ बिन रसना मोहन गुण गावै , नाना वाणी अनभै अपरा ।
दादू अनहद ऐसें कहिये , भगति तत्त यहु मारग सकरा ।।२ ।।
भावार्थ - ज्ञान - बल - हीन दीन लोग अच्छा करते हैं कि वे ' राम - राम ' कहते हैं । उन्हें चाहिए कि घर में घर को पवित्र रखें और पाँचो शरीर रूप कपड़े को धोवें ॥ इड़ा , पिंगला और सुषुम्ना के मिलन स्थान पर सुरत जमाकर मन और इन्द्रियों को स्वाधीन करने में सफल होने का सहज साधन - रूप सुमिरण - सेवा परम प्रभु परमात्मा को समर्पित करनी चाहिए । इस साधन से सुरत सुन्दरी सम्मुख में जगने * लगती है । वहाँ ( उपर्युक्त संगम के स्थान पर ) मेरे मन को आकृष्टकारी परमात्मा मोहन ने पकड़ लिया ॥१ ॥ निम्नकोटि की ( अपरा ) जड़ प्रकृति के मण्डलों की अनुभव गम्य नाना अनहद ध्वनियों के द्वारा वह मोहन बिना जिह्वा के ही अपना गुण प्रकट करता है । दादू दयालजी कहते हैं कि अनहद ध्वनियाँ भक्ति के सार रूप हैं तथा यह शब्द मार्ग सूक्ष्म है ॥२ ॥
一一一一一一一一一
* स्थूल शरीर में सूक्ष्म , सूक्ष्म में कारण , कारण में महाकारण और महाकारण में कैवल्य शरीर है - इस तरह घर में घर है । शौच से स्थूल को , सूक्ष्म के ऊपर से स्थल , कारण के ऊपर से सूक्ष्म , महाकारण के ऊपर से कारण और कैवल्य के ऊपर से महाकारण के उतर जाने ही से घर में घर को पवित्र रखना और पांचो काया - रूप कपड़े को धोना * उपर्युक्त रीति से भजन करनेवाले साधक को सम्मुख जगने का बोध आप होता है । बहिर्मुख से मुड़ाव और अन्तर्मुख में संलग्नता ही जगना है । इन ध्वनियों को अवगत कर लेने पर परमात्म - स्वरूप की प्रत्यक्षता की और अभ्यासी का उत्तरोत्तर आरोहण होता है और परमात्मा की प्रभुता उसको प्रत्यक्ष रूप में विदित होती जाती है । इतना ही जय गुरु महाराज।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि केवल राम राम करने से ही काम चलने वाला नहीं है। बल्कि शरीर के जो पांच दर्जें है उसे भी भजन के द्वारा पार करना होगा । भजन सिमरन कैसे किया जाता है? भजन सिमरन क्या है? भजन और सिमरन में क्या अंतर है? शब्द धुन क्या है? सिमरन कैसे करना चाहिए? भक्ति भजन कैसे करें? कृष्ण भगवान की भक्ति कैसे की जाती है? इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
अगर आप 'संतवाणी सटीक' पुस्तक के अन्य पद्यों के अर्थों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो यहां दबाएं।
गुरु महाराज की सभी पुस्तकों के लिए यहां दवाएं।
दादू वाणी 01, भजन सिमरन कैसे किया जाता है ।। "नीके राम कहतु है बपुरा.." ।। भजन भावार्थ सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
10/08/2018
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
कृपया सत्संग ध्यान से संबंधित किसी विषय पर जानकारी या अन्य सहायता के लिए टिप्पणी करें।