दरिया साहबB 01, How to get success in meditation, "अबरि के बार बकसु मोरे साहेब.. भजन व्याख्याकार- लालदास जी
दरिया साहब (बिहारी) की वाणी / 01
प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज प्रमाणित करते हुए "संतवाणी सटीक" भारती (हिंदी) पुस्तक में लिखते हैं कि सभी संतों का मत एक है। इसके प्रमाण स्वरूप बहुत से संतों की वाणीयों का संग्रह कर उसका शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया हैं। इसके अतिरिक्त भी "सत्संग योग" और अन्य पुस्तकों में संतवाणीयों का संग्रह है। जिसका टीकाकरण पूज्यपाद लालदास जी महाराज और अन्य टीकाकारों ने किया है। यहां "संतवाणी-सुधा सटीक" में प्रकाशित भक्त दरिया साहब (बिहारी) जी महाराज की वाणी ""अबरि के बार बकसु मोरे साहेब....' का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणियों को पढेंगे।जिसे पूज्य पाद संतसेवी जी महाराज और पूज्य पाद लाल दास जी महाराज ने लिखा है।
इस भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन, पद्य, वाणी, छंद) में बताया गया है कि- Can we achieve anything by meditation, Can meditation make you rich, Meditation for entrepreneurs, Meditation success rate, How meditation works, Importance of meditation, Meditation techniques, Research on meditation, ध्यान में तरक्की के लिए प्रार्थना कैसे करनी चाहिए, इसके लिए संत दरिया साहब की यह बानी बहुत ही अच्छी है। दरिया वाणी-अर्थ सहित, अबरि के बार बकसु मोरे साहेब..,ब्याख्याकार- महर्षि संतसेवी, दरिया साहब (बिहार वाले)| महान निर्गुण सन्त,दरिया साहब परिचय, st. dariya saheb hindi, satguru dariya saheb, dariya panth, dariya sahib bihar wale, sant dariya saheb bihari, dariya sahib bani, दरिया वाणी 01, How to get success in meditation, आदि बातों को जानने के पहले आइए संत दरिया साहब बिहार वाले का दर्शन करें-
इस भजन के पहले संत दरिया साहब (मारवाड़ी) के पद्य "दरिया त्रिकुटी संध में,..," को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
संत दरिया साहब (बिहारी) ध्यान की बातें बताते हुए। |
How to get success in meditation ध्यान में तरक्की के लिए प्रार्थना
संत दरिया साहब अपने गुरु (परमात्मा) से ध्यान में तरक्की के लिए प्रार्थना करते हुए कहते हैं- कि हे प्रभू ! मैं संसार में अपने कर्मों से जन्म-जन्मांतर से कष्ट सहते आ रहा हूं। इस जन्म में हमारे दोषों को क्षमा कर दीजिए और मुझे ध्यान में आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान कीजिए। How to get success in meditation इसे अच्छी तरह समझने के लिए इस शब्द का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी किया गया है; उसे पढ़ें-
सन्त - वाणी
संत दरिया साहब ( बिहारी ) की वाणी
अबरि के बार बकसु मोरे साहेब, जनम-जनम के चेरि हे॥१॥ चरण कमल में हृदय लगायेव,
कपट कागज सब फाडि हे ।।२।।
मैं अबला किछुओ नहिं जानौं, परपंचन के साथ हे ॥३॥
पिया मिलन बेरि इन्ह मोरा रोकल,
तब जिव भयल अनाथ हे ॥४॥
जब दिल में हम निहचे जानल, सूझि पड़ल जम फंद हे ॥५॥ खूलल दृष्टि दिया मनि नेसल , मानहु शरद के चंद हे ॥६॥
कह दरिया दरसन सुख उपजल ,
दुख - सुख दूरि बहाय हे ॥७ ॥
पद्यार्थ - टीका-महर्षि संतसेवी
ऐ मेरे स्वामी ! इस जन्म में आप मेरे दोषों को क्षमा कर दीजिए , तो मैं आपकी जन्म - जन्मान्तर तक दासी रहूँगी । कपट - रूप कागज को फाड़कर यानी कपट रहित होकर मैं आपके चरण - कमल में अपने मन को लंगाऊँगी । प्रपंच ( माया ) के साथ रहने के कारण मैं अबला कुछ भी नहीं जानती अर्थात् न तो मुझे अपना ज्ञान है और न आपके स्वरूप का ही । परमात्मा - रूपी पिया से मिलने के समय इस माया ने मेरा रास्ता रोक लिया , तभी से यह जीवात्मा असहाय हो गया है । जब मेरे दिल में ईश्वर का दृढ़ ज्ञान हुआ तो मुझे यम ( मृत्यु ) का फंदा दिखाई दिया । फिर मेरी दिव्य - दृष्टि खुल गई और मैंने अपने अंदर जलते हुए मणि - रूप दीपक का अनुभव किया , जिसका प्रकाश शरद्कालीन पूर्ण चंद्र की तरह स्वच्छ , शीतल और धवल था । संत दरिया साहब कहते हैं कि इस तरह मेरे अंदर परमात्मा के दर्शन का आनंद उत्पन्न हुआ , जिससे मेरे सारे सांसारिक सुख - दुःख दूर हो गए । ( व्याख्याकार - महर्षि संतसेवी परमहंसजी महाराज)
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज संध्याकालीन सत्संग में भजन गाते और सुनते थे। नीचे के चित्र में पूज्य पाद लाल दास जी महाराज द्वारा किया गया संत दरिया साहब के वाणी का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी है।
शब्दार्थ - टीका-स्वामी लालदासजी महाराज
बकसु - क्षमा कर दो , कृपापूर्वक प्रदान करो । ( ' बखाना ' का अर्थ देना , दान करना और क्षमा करना होता है । ) साहेब मालिका चेरि चेरी , दासी । कपट - दुराव , छल , छिपाव , दिल की बात छिपा लेने का भाव । परपंचन प्रपंच , माया । बेरि - वेला , समय । अनाथ - असहाय , दीन - दुःखी । निहचे - निश्चय , निश्चित रूप से । दिया दीया , दीपक । नेसल - लेसल , बल गया , जल गया । मानहु - मानो , जैसे या जैसा । दूर बहाना - अलग करना , नष्ट कर देना ।
भावार्थ - हे मेरे मालिक ! अबकी बार ( इस जन्म में ) मेरी गलतियों को क्षमा कर दीजिए अथवा अपनी अटल भक्ति मुझे कृपापूर्वक प्रदान कीजिए । मैं जन्म - जन्म से आपकी दासी हूँ ॥१ ॥ सारे कपट - रूपी कागज को फाड़कर अर्थात् अत्यन्त कपट - रहित होकर मैं आपके चरण - कमलों में अपने हृदय ( ध्यान , ख्याल ) को लगाऊँगी ॥२ ॥ ( कपट प्रेम का बाधक है । ) प्रपंच ( माया ) के साथ होने के कारण मुझे कुछ भी ज्ञान नहीं है और मैं अबला ( बल - रहित ) हो गयी हूँ ॥३ ॥ ( जीव परमात्म - अंश होने के कारण मूलतः अत्यन्त ज्ञानस्वरूप और अपरंपार शक्तियुक्त है । परन्तु माया के संग पड़कर वह अज्ञानी और निर्बल हो गया है । ) प्रियतम परमात्मा से मिलने के समय इन्होंने ( कपट और माया ने ) मुझे रोक लिया - छेक लिया , तब मेरा जीवात्मा अनाथ - असहाय - दीन - दुःखी हो गया।॥४ ॥ जब दिल में मुझे निश्चित रूप से ज्ञान हुआ , तब मुझे सामने स्पष्ट रूप से यम का फंदा दिखाई पड़ा ( एक दिन मरना है - इस बात का वास्तविक ज्ञान हुआ । ) ॥ ५ ॥ ऐसा होने पर मेरी विवेक - दृष्टि या दिव्य दृष्टि खुल गयी ; अंदर में मणि का दीपक बल गया ( मणि का - सा प्रकाश प्रकट हो आया ) , मानो उस दीपक का प्रकाश शरत्कालीन पूर्ण चन्द्रमा का शीतल - तीव्र प्रकाश हो अथवा शरद् ऋतु का - सा शीतल पूर्ण चंद्रमा भी अंदर में उदित हो आया ( वह चंद्रमा सहस्त्रदल कमल में उदित होता है । ) ॥ ६ ॥ संत दरिया साहब बिहारी कहते हैं कि मेरे हृदय में परमात्मा के दर्शन का सुख ( आनंद ) उपज आया और मैंने सभी सांसारिक सुख - दुःखों को बहाकर दूर कर दिया अर्थात् समता प्राप्त कर ली ॥७ ॥
टिप्पणी - कपट को कागज कहकर यह बताया गया है कि कपट का झीना आवरण भी प्रेम - मार्ग का बाधक है । जबतक पूरी तरह कपट का त्याग नहीं किया जाता , तबतक हृदय में प्रेम नहीं उपज सकता । प्रेम के लिए यह आवश्यक है कि हृदय बिल्कुल सरल हो , उसमें तनिक भी छल या दुराव नहीं हो । इति।।
ध्यान के बाधक
माया, मोह, बिषय इत्यादि हमें मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ने से रोकते हैं। जब आपकी कृपा हुई तब मैं अंधकार से प्रकाश में चला गया और हमारे दुख दूर हो गये ।
इस भजन के पहले वाले पद्य "...," को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए यहां दबाएं।
प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि ध्यान भजन में तरक्की के लिए प्रभु से प्रार्थना कैसे करना चाहिए । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।
भक्त-दरिया साहब बिहारी की वाणी भावार्थ सहित
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दरिया साहबB 01, How to get success in meditation, "अबरि के बार बकसु मोरे साहेब.. भजन व्याख्याकार- लालदास जी
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
10/04/2018
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