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नानक वाणी 02 । Guru diksha urgency । जैसे जल में कमल निरालमु । भावार्थ सहित -महर्षि मेंहीं

गुरु नानक साहब की वाणी / 02

    प्रभु प्रेमियों ! संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "संतवाणी सटीक" से संत श्री गुरु नानक साहब की वाणी "जैसे जल में कमल निरालमु...' भजन का शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणी पढेंगे। जिसे सद्गुरु महर्षि  मेंहीं परमहंस जी महाराज ने लिखा है।

संत सद्गुरु नानक साहब जी महाराज की इस God भजन (कविता, गीत, भक्ति भजन,भजन कीर्तन, पद्य, वाणी, छंद) "जैसे जल में कमल निरालमु,..." में बताया गया है कि- बिना सद्गुरु की सेवा किए योग - साधन नहीं होता है । सद्गुरु की प्राप्ति के बिना मोक्ष नहीं मिलता ।। सद्गुरु की प्राप्ति के बिना ईश्वर का नाम नहीं प्राप्त किया जाता । इन बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रश्नों के भी कुछ-न-कुछ उत्तर इस भजन में दिया गया है जैसे कि- सब कुछ अपने शरीर के अंदर ही है। बाहर में परमात्मा को खोजना अपने आपको धोखे में रखने के जैसा कि- नानक bhajan list, नानक वाणी अर्थ सहित, गुरु नानक वाणी भजन, guru nanak dev ji ki bani, gurbani,guru nanak ji ki vani, nanak ke bhaja in hindi with meaning, guru nanak ki gurbani, gurbani video, भक्ति, भक्ति के गाने, भक्ति के गाना, भक्ति के भजन, भक्ति के गीत, भक्ति के गाना वीडियो, भक्ति के प्रकार, आदि बातें।

इस भजन के पहले वाले भजन "जोगु न खिंथा जोग न डंडै" को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।


टीकाकार सद्गुरु महर्षि मेंही और बाबा नानक भजन गाते हुए।
टीकाकार और धन धन सतगुरु नानक देव जी महाराज

गुरु दीक्षा अत्यावश्यक Guru diksha urgency

गुरु नानक साहब जी महाराज कहते हैं कि लोग संत सद्गुरु की आवश्यकता को नहीं समझते और योग्य गुरु नहीं मिलने के कारण संसार में भटकते रहते हैं। बिना गुरु के परमार्थ की ओर एक डग चलना बहुत मुश्किल है। योग गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है Guru diksha urgency इसे अच्छी तरह समझने के लिए गूरुवाणी और उसका शब्दार्थ, भावार्थ नीचे दिया गया है।

॥ मूल पद्य ॥

जैसे जल महि कमलु निरालमु , मुरगाई नैसाण । सुरति सबदि भवसागर तरीडे , नानक नाम बखाण । रहहिं एकान्ति एको मनि बसिआ , आसा माहिं निरासो । अगमु अगोचरु देखि दिखाए , नानक ताका दासो ।।

भावार्थ - जैसे जल में कमल और पनडुब्बी चिड़िया निर्लेप रहते हैं , उसी तरह संसार में रहकर सुरत - शब्द ( नादानुसन्धान ) का अभ्यास करके संसार - सागर को तरना चाहिए । गुरु नानक साहब कहते हैं कि मैं नाम - भजन का वर्णन करता हूँ अर्थात् गुरु नानक साहब के अनुकूल सुरत - शब्द का अभ्यास करना नाम - भजन करना है । केवल परमात्म - चिन्तन ही एक मन में रखकर जो एकान्त रहते हैं , आशा में निराश रहते हैं और बुद्धि तथा इन्द्रियों की पहुँच से परे को आत्मा से देखते हैं , C और दिखलाते हैं , गुरु नानक साहब कहते हैं कि मैं उनका दास हूँ ।

 ।। मूल पद्य ॥

बिनु सतिगुर सेवे जोगु न होई ।। बिनु सतिगुर भेटे मुकति न कोई ॥ बिनु सतिगुर भेटे नामु पाइआ न जाइ । बिनु सतिगुर भोटे महादुख पाइ ।। बिनु सतिगुर भेटे महा गरबि गुबारि । नानक विन गुर मृआ जनमु हारि ।

 शब्दार्थ - गरबि - अहंकार । गुबारि = धुंधला ।

 अर्थ - बिना सद्गुरु की सेवा किए योग - साधन नहीं होता है । सद्गुरु की प्राप्ति के बिना मोक्ष नहीं मिलता ।। सद्गुरु की प्राप्ति के बिना ईश्वर का नाम नहीं प्राप्त किया जाता । ( नाम से यहाँ वर्णात्मक तथा अन्तर - साधन से उपलब्ध ध्वन्यात्मक शब्द दोनों ही समझने चाहिए । ) सद्गुरु की प्राप्ति के बिना मनुष्य जनमने - मरने का महादुःख पाता रहता है । सद्गुरु की प्राप्ति के बिना अत्यन्त अहंकार और अन्धकार में जीव पड़ा रहता है । गुरु नानकदेवजी कहते हैं कि सद्गुरु के नहीं भेंटने से जीव व्यर्थ ही मर जाता है और मनुष्य - जन्म पाकर जो परम फल - मोक्ष पाना चाहिए , उससे वंचित रह जाता है ।। इति।।

बाबा नानक के इस भजन के बाद दूसरे भजन "काहे रे बन खोज जाई...' को भावार्थ सहित पढ़ने के लिए   यहां दबाएं।


प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "संतवाणी सटीक" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि  योग गुरु से दीक्षा लेना अति आवश्यक है Guru diksha urgencyअर्थात् गुरु बनाना जरूरी है। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त लेख का पाठ करके सुनाया गया है।




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नानक वाणी 02 । Guru diksha urgency । जैसे जल में कमल निरालमु । भावार्थ सहित -महर्षि मेंहीं नानक वाणी 02 । Guru diksha urgency । जैसे जल में कमल निरालमु । भावार्थ सहित -महर्षि मेंहीं Reviewed by सत्संग ध्यान on 6/27/2020 Rating: 5

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